Pitra Dosh is a significant concept in Vedic astrology, believed to arise due to the unsettled souls of ancestors. When ancestral karmas are left unresolved, they manifest as obstacles in the descendants’ lives, leading to hardships, illnesses, financial troubles, and mental distress. This blog will delve into the causes of Pitra Dosh, traditional remedies, and why seeking expert guidance is crucial for its resolution.
What is Pitra Dosh and Why Does it Happen?
Pitra Dosh occurs when our ancestors’ souls are not at peace. This could be due to unfulfilled duties, improper rituals after their death, or wrongdoings in their lifetime. Astrologically, Pitra Dosh is identified when certain planetary positions, such as the Sun or Rahu, are adversely placed in the horoscope, particularly in the 9th house (the house of ancestors) or with malefic influences.
Common Astrological Combinations Indicating Pitra Dosh
- Sun-Rahu Conjunction: A prominent indicator of Pitra Dosh, suggesting unresolved ancestral karma.
- 9th House Afflicted: When the 9th house is influenced by malefic planets like Saturn, Rahu, or Ketu, it often indicates issues related to ancestors.
- Moon-Saturn Affliction: This combination can also suggest ancestral curses or unresolved debts from past lives.
Traditional Remedies for Pitra Dosh
Commonly prescribed remedies include:
- Tarpan and Shradh: Offering water and performing rituals to appease ancestors during Shradh Paksha.
- Pind Daan: Performing rituals at holy places like Gaya, Haridwar, or Ujjain to help the souls attain peace.
- Feeding Brahmins and Cows: Offering food to Brahmins, cows, and needy people to gain blessings from ancestors.
- Donations: Donating to the poor and performing acts of charity in the name of ancestors.
Why Traditional Remedies May Not Work
While traditional remedies are widely practiced, they may not always provide relief, particularly in complex cases where the ancestral issues are deeply rooted or influenced by other factors like black magic, tantric rituals, or severe curses. In such cases, the standard rituals may not be sufficient to release the souls or to alleviate the problems faced by the descendants.
The Importance of Consulting an Expert: A Real-Life Experience
One such case is the story of Mahesh, a man who faced extreme difficulties after the sudden and tragic death of his parents. Despite performing all traditional remedies, including Pind Daan and Shradh at various holy places, his problems only intensified. Mahesh’s experience highlights the limitations of standard remedies and the importance of seeking expert guidance.
Mahesh’s Story: The Struggle with Pitra Dosh
A person named Mahesh came to me. His mother had passed away in an accident, and some time later, his father suddenly died one morning. After their deaths, Mahesh started facing constant troubles in his life. Mahesh’s life was filled with unending hardships—constant illnesses, financial crises, and recurring nightmares. Despite consulting numerous priests and performing various rituals at Gaya, Ujjain, Haridwar, and Puri, Mahesh found no relief.
One night, Mahesh had a terrifying dream where he saw a deformed creature, representing his mother, begging for flesh and blood. This disturbing dream marked the peak of his distress. Desperate and helpless, Mahesh found himself crying outside the Kaal Bhairav temple in Ujjain at midnight, seeking solace.
A mysterious voice interrupted his lament, guiding him to meet a spiritual expert who could truly understand and solve his problems. Following this guidance, Mahesh met me, I explained that his parents’ souls were trapped due to a tantric ritual performed nearby at the time of their death. I had to perform specific rituals, including a Shmashan Bhairav Havan, to release their souls from the negative forces.
The Outcome: Liberation and Peace
After the expert’s intervention, Mahesh’s nightmares ceased, and he began experiencing visions of his parents in a peaceful, divine form. His health improved, financial stability returned, and he no longer felt the intense burden he once carried. Mahesh’s experience serves as a powerful reminder of the necessity of expert intervention in resolving complex cases of Pitra Dosh.
पूरी घटना की विवरण हिंदी में
जीवन में अनेकों कष्ट आते हैं किंतु अपनों से बिछडने का कष्ट असीमित है।उनके मरने पर ऐसा प्रतीत होता कि हम स्वयं मर गए अब कोई इच्छा शेष नही रह पाती जीने के लिए।बहुत पीड़ा होती एक व्यक्ति को अपना कोई जाए तो । एक व्यक्ति महेश नाम का मेरे पास आया उसके माता parents death की मृत्यु एक हादसे में हुई और कुछ समय पश्चात पिता की मृत्यु अचानक प्रातः काल हो गई । इसके पश्चात उनका पुत्र सदैव परेशान रहने लगा उसके कार्यों में रुकावट आने लगी। एक दिन उसकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई , धन का संकट आने को था । उसी रात्रि उसके स्वप्न में एक कीड़ा आया और चेहरा उसका पिचका हुआ ,टूटा हुआ आदमी का रूप लिए था । वो कीड़ा कह भी नही पा सकता था कुछ ,किन्तु उसके पीछे एक बच्चा चल रहा था उसको बचा रहा था कीड़े को ।
वो बच्चा बोला कि बेटा ये तेरी माँ है इसे बचा ले हम बहुत परेशान है हमें थोड़ा सा खून और मांस दे दे। ये देखते ही उसकी घबराहट से नींद टूटी और वो और परेशान हो गया । इसके बाद महेश को समझ नही आया क्या करे ,खूब पंडितों से पूजा करवाई ,दान पुण्य इत्यादि हुआ ,गया में ,उज्जैन में ujjain ,हरिद्वार में ,पुरि में इत्यादि किन्तु उसकी पीड़ा बढ़ती चली गई । सबने कहा कि वो अब प्रेत हैं भूत पिशाचों का संग है किंतु सही मार्गदर्शन कोई नही कर पाया। इधर रोज उसके माता पिता रोते हुए उस से मदद मांगते किन्तु ये असहाय था।
अचानक से महेश का जाना उज्जैन हुआ वहां रात्रि 12 बजे काल भैरव मंदिर के दरवाजे के बाहर सर झुका के रुदन करते हुए पीडा में अकेले था । एक लड़के की आवाज ने उसके रुदन में बाधा दी व उन्हें कहा कि, यहां मत रो तारामणि बैठा है मेरे पास उस से बात कर भाग जल्दी उसके पास।
ये इतना तेज और कडकता हुआ वाक्य था कि उस लड़के का रुदन पल में छूटा और जैसे ही शीश उठा कोई नही था इधर भागा उधर भागा चिल्लाया चीखा कोई नही बस वो वाक्य गूंज रहे थे । वो समझ गया था कि किसी रूप में बाबा काल भैरव स्वरूप सहायता को आये। फिर वो उस वाक्य को समझता हुआ चलते चलते नदी किनारे आया सिगरेट जलाके पीने की मंशा लेके तभी एक कुत्ता उसे काटने को आता है जैसे उसका भोजन आज महेश ही हो तभी एक आवाज आई कुत्ते को भगाती हुई और कहा कि भैया क्या हुआ यहाँ क्या करते हो तो महेश ने सारी घटना वाक्या दर वाक्या बता दी।
उस व्यक्ति ने उसकी सहायता के लिए उस वाक्य में प्रयुक्त नाम का गूगल करके विस्तारपूर्वक जानकारी निकालनी चाही उसमे वीडियो पोस्ट इत्यादि फ़ोटो देख के उसको याद आया कि वो मिल चुका है इनसे । उसने वो विस्तारित जानकारी महेश को दी महेश मृत आत्मा से संपर्क वाली सारी वीडियो रात भर दिन भर देखता गया बिना भूख प्यास के चिंता के । क्योंकि अब उसे सत्य राह दिख रही थी बातों में अनुभव की खनक थी ,ईश्वरीय प्रकाश था।
2 दिन उसने सारी वीडियो देख के उसने रोते हुए emoji के साथ संदेश भेजा ,अजय मेरा शिष्य उसकी बात सुन के स्वयम द्रवित हुआ और मेरे से संपर्क callme4 पर करने का सुझाव दिया । जब उसकी सारी बात सुनी तो समझाया उसे और सुझाव दिया कि आप वास्तविक पीड़ित है और कई जगह भटक लिए हैं ,आप समूल्य परामर्श लीजिये क्योंकि इसमें आपके ,आपके माता पिता जो अब नही है उनके साथ कुछ विशिष्ट सिद्ध शक्तियां लगाई जाती है ,उनसे बचाने के लिए जो प्रेत आत्मा आपके लिए खतरनाक हो सकती है ,उन आत्माओं को बुलाने के समय बुलाने वाले के लिए खतरा होता है उसके लिए अलग शक्ति का केरी लगता है ,साथ ही उस प्रेत आत्मा का आपके या बुलाने वाले के ऊपर कब्जा न हो जाये इसके लिए भिन्न सटीकता जो अनुभव से आती है ,चाहिए होती है । इसके साथ ही एक शमशान हवन ,उनको प्रेत योनि से निकाल के आगे की गति देने के लिए किया जाता है ,साथ ही व्यक्ति का श्रद्धा और विश्वास न हो तो लाभ नही मिलता है ।
यह सभी कुछ महेश को समझाने के पश्चात उसने सहयोग राशि जमा कराने के पश्चात उनसे मांगी हुई जानकारी देने के बाद 11 दिन का समय लिया गया।
15वें दिन जब महेश का संपर्क हुआ तो उसका रो रो के बुरा हाल था ,कहने लगा रोज जैसे माता पिता प्रेत बनके आते थे जब से आपको सहयोग राशि जमा हुई तभी से एक हल्का पन सा आ गया था कि ब्राह्मण देव वास्तविकता में बाबा काल भैरव के भेजे हुए अवतार ही हैं । महेश ने कहा कि सुबह रोज अपका दर्शन होता है नीले कुर्ते में और आप घर में एक चक्कर लगाते हैं फिर आकाश की तरफ जाते हैं वहाँ से मेरे माता पिता जो कीड़े और अजीब से बालक का रूप में थे अब वो सुंदर सफेद वस्त्रों में दिखते हैं मुस्कुराते हुए।
ये सब अचानक से कैसे हो गया समझ नही आया ।मैने कहा यह समझने का क्षेत्र नही है ,मात्र बहने के क्षेत्र है आपने भाव रखा आपका शुभ हुआ हवन हुआ सब ठीक है अब आप सामान्य जो बताते हैं उस प्रकार से पूजन करते रहें ।फिर भी आपके बताने लायक आपको बताया जा सकता है ।
आपकी माता जिस पल प्राण त्याग रही थी वो होश में नहीं थी उनका अकाल मृत्यु हुआ है Death or Akaal Mrityu और जिस जगह उनके प्राण हटे हैं उसी पल पास नदी किनारे एक तांत्रिक यज्ञ चालू था वो आत्मा खिंच के उन प्रेत टोली का हिस्सा बन गई थी इधर आपके पिता पर वही असर हुआ अचानक से आपके माता के जाने से वो आत्मीय रूप से खाली हो गए और जीवन की इच्छा छोड़ दी इस परेशानी से उन्हें प्रातः काल अटैक आ गया और उनकी आत्मा खिंच के आपके माता जी के आत्मा के साथ हो गई जो उस पल तांत्रिक यज्ञ के कारण प्रेत की टोली में शामिल थी ।
(यह ऐसा अजीब केस था जो आज तक नही आया था सामने मेरे ,ऐसे तो अनेकों पीड़ित आत्माओं का बाबा की कृपा से उत्थान करते रहते हैं किंतु यह भिन्न था। )
अब कुछ गुप्त क्रियाओं का प्रयोग करके शक्तियों तांत्रिक क्रिया करने वाले हवन में शामिल लोगों के शक्तियों का बंधन फिर भिन्न बंधनों आये केरने के पश्चात दोनो की आत्माओं को कब्जे से निकालने के पश्चात शमशान भैरव हवन के माध्यम ऊर्ध्वगति कराते हुए दोनो जब आगे जाने लगी तो आपको वो दृश्य दिखने लगे ।
अब आपको कहीं भी पूजन करने की आवश्यकता नही है।
अब महेश काफी समय से स्वस्थ और संपन्न है और समय समय पर अपने गुरु और अपने आश्रम हेतु सेवा में रहता है।
Effective Remedies for Pitra Dosh: The Expert’s Approach
In cases like Mahesh’s, where traditional remedies fail, an expert may suggest:
- Advanced Tantric Rituals: These rituals, such as Shmashan Bhairav Havan, are performed to combat severe negative energies and to free trapped souls.
- Specialized Pujas: Customized rituals that involve specific deities and mantras aimed at addressing the unique circumstances of the affected individual.
- Protection Measures: Implementing protective talismans or invoking specific deities to shield the affected person from further harm.
Conclusion: The Path to Relief
Pitra Dosh is a complex affliction that can bring immense suffering if not addressed properly. While traditional remedies work in many cases, they may not be effective in situations involving deeper, more intricate issues. Consulting an expert who understands the nuances of Pitra Dosh and has experience in dealing with such cases is crucial for finding lasting relief and peace for both the affected individuals and their ancestors.
For those experiencing symptoms of Pitra Dosh, it’s essential to remain patient and seek the right guidance. As Mahesh’s story illustrates, with proper intervention, even the most severe cases can be resolved, leading to a life free from the burdens of the past.
It is very crucial for one to have a competent guru to dive deeper in Kaal Bhairava tantric lineage. If you are interested then please do check this link.