Shri Kaal Bhairava Ashram - Mandir - Lucknow
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Shri Kaal Bhairava Ashram: A sacred Temple and School dedicated to Lord Kaal Bhairava, offering advanced tantric practices and secret meditation techniques.
Who is Kaal Bhairava?
About US
Shri Kaal Bhairava Ashram एक ऐसा आश्रम जिसके संस्थापक सद्गुरुदेव श्री तारामणि जी है किंतु इसके निर्माण में बहुत सारे साधकों के खून पसीना एक हुआ है। ग्रीष्म काल की चिलचिलाती धूप में अपने सभी लोभ स्वार्थ को तिरोहित करते हुए प्रत्येक साधक ने कई महीनों तक श्री काल भैरव आश्रम में सेवा दे के भविष्य में आने वाले साधकों के सुविधा हेतु बहुत परिश्रम किया है। समय समय पर आश्रम में सद्गुरुदेव जी द्वारा तंत्र व ध्यान संबंधित अत्यंत गुप्त साधनाओं को कराया जाता है।इस प्रत्येक अष्टमी को यहां भगवान भैरव एवं सभी महाविद्याओं ,अप्सरा, यक्ष ,किन्नरी, बेताल ,प्रेत ,पिशाच सम्बंधित कई साधनाओं की दीक्षा देके साधना भी कराई जाती है।इस दिव्य सिद्ध आश्रम की स्थापना पूर्व अत्यंत गूढता से सद्गुरुदेव जी द्वारा इस दिव्य तपो भूमि के पूर्व के संतों के संबंध जांचे गए। सदगुरुदेव जी द्वारा इस दिव्य आश्रम में पूर्व समय के साधु संतों से सम्पर्कोप्रांत उनके साथ वार्ता के पश्चात ह निर्णय लिया गया कि आश्रम इसी भूमि पर बनेगा क्योंकि इसी भूमि पर पहले के युग में भी बहुत साधु संतों ने साधनाएं की हैं। सद्गुरुदेव जी ने इस भूमि के भीतर एक स्वर्णिम सुदर्शन चक्र भी पाया जिसका संबंध एक दिव्य जगत के लोको से है और इस आश्रम में दूसरे लोकों के मध्य मार्ग खोलने में सहजता होती है। इस आश्रम में केवल चुनिंदा साधकों का ही प्रवेश सम्भव है।इस आश्रम में रहने के सद्गुरुदेव जी द्वारा अत्यंत कठोर नियम बनाये गए हैं।
SHRI KAAL BHAIRAVA | ASHRAM
Shri Kaal Bhairava Ashram – Temple एक ऐसा स्थान जो युगों से तपस्वियों और योगियों की तपस्या स्थली रहा है । पुरातन काल में यहां मुनि योगी तपस्वी अपनी साधनाओं को गुप्त रूप से करने के लिए यहां विचरण किया करते थे। सदगुरुदेव जी द्वारा इस स्थान की खोज का आदेश उन्ही योगियों और भगवान भैरव नाथ द्वारा दिया गया और उन के आदेश के उपरांत ही इस दिव्य स्थान के खोजा गया है । इस श्री काल भैरव मंदिर के साथ ही श्री काल भैरव आश्रम सभी साधकों ,सेवादारों व साधुओं के साधना का स्थान आज वर्तमान काल में भी उनकी तपस्या और विशिष्ट गुप्त हवन द्वारा मंदिर और आश्रम में आने वालों के कष्टों को दूर करने का प्रमाण बन चुका है । इस श्री काल भैरव मंदिर में लगातार वर्षों से दिव्य अष्ट लक्ष्मी हवन ,भैरव, दस महाविद्या ,हनुमान व काली माता के अनंत हवन , हजारों श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन, गौ माता की सेवा, ध्यान समाधि के गहरे प्रयोगों इत्यादि का लगातार आयोजन इस स्थान की दिव्यता और चमत्कारों को बढ़ाता जा रहा है और इस मंदिर में आने वाले पीड़ितों के कष्टों को तुरंत हर लेता है।
अर्जी कैसे लगेगी हमारी पीड़ाओं की?
आपकी कोई भी पीड़ा परेशानी हेतु आप अपनी परेशानी को साफ शब्दों में घर से ही लिख कर लाएं और जब लिखें तो आपके भीतर विचार नही बाबा और गुरु के लिए प्रार्थना और पीड़ा का भाव होना चाहिए जिस से आपके अश्रुभाव आ रहे हों इतना भावुक हो के लिखें । पीड़ा के नीचे अपना नाम पता और फोन नंबर लिखें। साथ ही एक पानी वाला जटा वाला नारियल लाएं और 21 rs थोड़ा सा सिंदूर/कुमकुम।मंदिर में प्रवेश के समय अपने शीश को झुकाएं और पूरी श्रद्धा भाव से संस्थापक या प्रबंधक जी के सहायता से बाबा को वो सब अर्पित करें जो लाए हों साथ में नारियल 21 rs और आपकी अर्जी वाला कागज भी बाबा के चरणों में रखें । संस्थापक या प्रबंधक से बाबा के हवन भस्म के लिए प्रार्थना करें और प्रयोग की विधि विधान समझ के घर ले जाएं ।
नोट: किसी को भी कुछ भी दान या सहयोग राशि हाथ में नही दें।दान मात्र दान पेटी में डालें अथवा Gpay Paytm 9919935555 पर आश्रम के नंबर पर ही करें।
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Stories
बचपन का प्रेत भाग गया
एक श्रद्धालु को बाल्यकाल से एक प्रेत ने पकड़ा हुआ था जिसके कारण प्रति रात्रि में उसे डरावने स्वप्न आते और ऐसा प्रतीत होता कि कोई इनका गला काट रहा है । इनके पिता इनको डांटते सोते समय इतना ज्यादा चिल्लाने के लिए । सबकी नींद खराब हो जाती। अंततः 40 वर्षों से वो अब घर के बाहर दूसरे दूर वाले कमरे में सोते रहे । एक दिवस वो श्रद्धालु अपनी इसी पीड़ा को Shri Kaal Bhairava Ashram में सदगुरुदेव जी के चरणों में अर्पित करके रुदन करने लगा और चमत्कार उसी समय से हो गया । एक प्रेत जो बरसों से एक श्रद्धालु को पीड़ा दे रहा था वो सदैव के लिए भाग गया और अब उसे उसके परिवार वालों के साथ ही विश्राम करने का सौभाग्य मिलने लगा ।यह बाबा भैरव नाथ की कृपा का जीवंत चमत्कार है।
झुकते ही तंत्र काट हो गई
एक पीड़ित 15 वर्षों से स्वप्न में अपने को तंत्र प्रभाव से पीड़ित देखता था । जागते सोते सदैव उसके शरीर से एक अजीब सी दुर्गंध आती रहती थी जो उसे मानसिक बीमारी की ओर ले जा रही थी जिसके कारण उसका स्वास्थ्य और मानसिकता भी दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी । इसका असर उसके काम काज और संबंधों में भी पड़ना शुरू हो गया था । वो पीड़ित Shri Kaal Bhairava Ashram आए और एक बार सदगुरुदेव जी के चरणों को स्पर्श करते ही उसको अपने शरीर से 15 वर्षों पुरानी तंत्र बाधा के कारण आने वाली दुर्गंध की काट हो गई और वो दुर्गंधरहित हो गया । इसे देख वो आश्चर्यचकित इतना हुआ की उसे विश्वास नहीं हुआ की सिर्फ पैर छूते ही उसके तंत्र काट कैसे हो गई ,इसके लिए उसने 4 दिन प्रतिक्षा करी बिना इस बात को बताए किसी को और 5 दिन बाद उसने सबसे यह स्वीकार किया की यह चमत्कार हुआ है और साथ ही उसकी याददाश्त बहुत खराब थी इतनी खराब की उसे नाम लोग के चेहरे तक याद नही रह पाते थे और जब से स्पर्श हुआ है तभी से सभी बड़े बड़े मोबाइल नंबर नाम के साथ याद हो गए हैं चाहे कैसे भी हों । इस चमत्कार से वो और सभी प्रसन्न हुए की गुरु और मंदिर का चरण स्पर्श इतना प्रभावशाली है तो उनका साधना सानिध्य गुरु मंत्र कितना प्रभावशाली होगा ।
मरी हुई बच्ची जिंदा हो गई
अचानक एक पास के गांव के श्रद्धालु की छोटी बच्ची 15 फिट खुली छत से सर के बल इंट की रोड पर गिर गई और बेहोश थी । सभी गांव वाले उसे लेके हॉस्पिटल गए डॉक्टर ने सारी रिपोर्ट चेक करी सब इंजेक्शन लगाए सारी एम आर आई ,आई सी जी इत्यादि सभी जांच करके बताया पल्स नही है और 30 मिनट देख लो हमारे लिए तो प्राण नही है शरीर में । यह सुन के सभी आस पास के हजारों गांव वाले इकट्ठा हो गए सब जगह रोना पीटना हल्ला मच गया ,तब श्री काल भैरव मंदिर में विराजमान साक्षात गुरु स्वरूप बाबा और सदगुरुदेव जी द्वारा कुछ बताए जाने पर वो बच्ची 5 मिनट में जाग के सामान्य हो गई।सारे गांव को लोग आज तक आश्चर्यचकित हैं इस चमत्कार पर।
कोरोना काल में जीवन दान
एक महिला ,महामारी के समय कोरोना काल से पीड़ित आई और सावधानी वश उसे Shri Kaal Bhairava Ashram में प्रवेश नही दिया गया और उसे बाहर से ही दिव्य हवन भस्म प्रदान की गई और उसको उसका तिलक किया गया । उसके पश्चात उसे बहुत ज्यादा आराम मिला और अगले दिन वो खेत में एक सेवादार को काम करती पाई गई और पूछने पर वो रोने लगी की वो #भस्म लगाते ही यकायक अंधेरा हो गया और एक तेज चमक ने उसके छाती में एक झटका दिया और सारा कफ बाहर आ गया और सांस सामान्य हो गई फिर वो उठ के पानी लेके खेत पे काम करने लगी ।
Train Yourself Before Coming Under The Shade Of Gurudev
- गुरु वो दर्पण है, जिसमें आत्म दर्शन होता है
- गुरु वह शीतल जल है, जिसमें परमानन्द का भाव समाहित है
- गुरु वह ज्वाला है, जिसमें हर दोष स्वाहा होता है
- गुरु वह निर्मल झरना है, जिसमें जीवन का संगीत समाहित है
- गुरु वह शांत झील है, जिसमें सिर्फ अमृत ही अमृत है
- गुरु वह विशाल अंतरिक्ष है, जिसकी अनंतता का माप नहीं है
- गुरु का न कोई नाम होता है, न कोई धर्म होता है
- गुरु तो विशुद्ध आत्मा है, जो नाम व देह से सर्वदा परे है
- गुरु चरणों में समर्पित होना और खो जाना ही पूर्णत्व सिद्धी है ।
मंदिर में आते समय क्या लाना चाहिए ?
मंदिर में सदैव बाबा के दीपक के लिए सरसों का या तिल का शुद्ध तेल , घी, रुई ,माचिस,गुग्गल धूप,लोहबान धूप, चंदन, अष्टगंध,कुमकुम, इलाइची,लॉन्ग,हल्दी,कालीमिर्च,हवन सामग्री, फल , पुष्प, साधकों के लिए वस्त्र धोती कपड़ा , नारियल ,मदिरा, सिगरेट, मिठाई अथवा कुछ भी साधु संतो के लिए इत्यादि आप ला सकते हैं । आश्रम में स्थित गौ माता हेतु चारा या कपिला पशु आहार , खली, चोकर , भूसा इत्यादि भी आप दान कर सकते हैं कोई जबरदस्ती नहीं है लाने की।
What should one bring when coming to the temple?
In Shri Kaal Bhairava Ashram – Temple, you can always bring pure mustard oil or sesame oil for Baba’s lamp, ghee, cotton, matches, guggul incense, loban incense, sandalwood, ashtagandha, kumkum, cardamom, cloves, turmeric, black pepper, havan materials, fruits, flowers, clothing like dhoti for devotees, coconut, liquor, cigarettes, sweets, or anything for the sadhus and saints. For the cows in the ashram, you can donate fodder or Kapila animal feed, oil cakes, bran, chaff, etc. There is no compulsion to bring anything.
इस प्रकार से Shri Kaal Bhairava Ashram – Temple (लखनऊ) के अनेकों चमत्कृत जीवंत उदाहरण प्रति दिन मंदिर में भैरव बाबा के चरणों में मात्र नारियल संग अर्जी लगाकर अपने कष्टों से निजात पा रहे हैं। आप सभी के लिए यह मंदिर अभी तक बंद था लेकिन अब बाबा के आदेश से मंदिर के कपाट सभी श्रद्धालुओं के लिए खुल गए है। कृपया मंदिर आते समय निम्न नियम का ध्यान दें:
- मौन बनाए रखें क्युकी साधक साधु संत साधना में रहते हैं तो आपके आवजों से उनके साधना में व्यवधान होगा जिसका पाप आपको लगेगा ।
- मंदिर में शांति और स्वच्छता बनाए रखें।
- बाबा को तिलक करने की हिम्मत न करें केवल चरणों में अर्पित करें जो भी लाए हों
- यहां बाबा गुरु रूप में विराजमान है तो मिठाई, मदिरा,चिलम,सिगरेट इत्यादि मुख पर न लगाएं जो भी लाए हैं चरणों में अर्पित कर दें अन्यथा दंड के लिए तैयार रहें ।
- आप मंदिर आयेगे तो कृपया आश्रम के भीतर प्रवेश वर्जित है तो प्रवेश न करें ।दंड का प्रावधान है ।
- मंदिर में कुछ भी दान करने का भाव हो तो दान पेटी में करें अथवा आश्रम का gpay 9919935555 पर करें।
ग्रहों की शांति के लिए उपाय
- अगर आपकी कुंडली में सूर्य दोष है, तो आपको नियमित गाय को रसोई में बनी पहली रोटी खिलानी चाहिए। रोटी गेहूं के आटे की होनी चाहिए।
- अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर है, तो गाय को रोटी के साथ गुड़ भी दें।
- कुंडली में यदि बुध ग्रह नीच का है या फिर कमजोर है तो आपको रोटी के साथ गाय को हरी सब्जियां भी खिलानी चाहिए।
- बृहस्पति ग्रह कमजोर है तो आपको गाय को रोटी, गुड़ और चना खिलाना चाहिए।
- कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो आपको गाय को रोटी और पानी दोनों अर्पित करना चाहिए।
- राहु की महादशा को कम करने के लिए काली दाल के साथ गाय को रोटी खाने के लिए दें।
- शनि ग्रह को शांत करने के लिए आप हर शनिवार गाय को घी लगी रोटी के साथ पालक खाने को दें
- केतु ग्रह को मजबूत करने के लिए सफेद तिल और गेहूं के आटे की रोटी खाने के लिए दें।
आश्रम आने वाले सभी साधकों के लिए नियम
- आश्रम में सम्पूर्ण मौन आधारभूत नियम है जिसके उल्लंघन पर आपको तुरंत निष्कासित कर दिया जाएगा ।
- आश्रम में लाल रंग के वस्त्र कुर्ता पजामा / लाल कुर्ता धोती / लाल साड़ी ही केवल धारण करने का नियम है अतः केवल इन वस्त्र में ही रहें।
- आपस में किसी से कोई भी बात नही करनी होती है आप किसी भी दुविधा को आश्रम के प्रबंधक अथवा गुरुदेव से साझा कर सकते हैं,आपसी किसी भी प्रकार की वार्ता पूरी तरह से वर्जित है।
- आश्रम आने वाले किसी भी साधक साधिका को सख्त निर्देश है कि आपस में सांसारिक प्रपंच सांसारिक गुटबाजी व राजनीति का हिस्सा न बनें ,न ही एक दूसरे के नम्बर इत्यादि शेयर करें।जो भी दुविधा हो गुरुदेव व प्रबंधक से साझा करें।आप यहां साधना व गुरु सानिध्य हेतु आये हैं अतः बाकियों से संपर्क कर आपसी कचरे को बढ़ावा न दें।
- आश्रम आते समय अपने साथ आपकी चादर, तकिया, मच्छरों के लिए कोई लोशन अवश्य लेके आएं।
- आश्रम में दूध की हानिकारक चाय प्रतिबंधित है तो उसकी आशा न रखें ,भोजन इत्यादि अपने समय पर आपको सूचित कर दिया जाएगा।
- आश्रम अभी निर्माणाधीन है अतः आपको असुविधाएं हो सकती है उसके लिए मानसिक तैयार हो के आएं।
- वो लोग जो गद्दी ,चौकी इत्यादि लगाते हैं,आश्रम में अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण करके रखें अन्यथा हंगामा मचाने पर तुरंत हमेशा के लिए बाहर कर दिया जाता है।
- अपनी खोपड़ी अपने घर पर रख के आएं ,मात्र हृदय से आये तो सदगुरुदेव के अनंत प्रेम का पान आप कर पाएंगे अन्यथा आपका आना व्यर्थ जाएगा।
- यह आश्रम आप सभी के लिए निर्मित हो रहा है अतः यहाँ की सफाई व प्रबंधन में सहयोग आप सभी की जिम्मेदारी है,कृप्या सहयोग करें। प्रबंधक के निर्देश का पालन प्रत्येक साधक की मजबूरी है कृपया बहाने न बनाएं।
- आश्रम के लिए आपके द्वारा दी गई धनराशि ,दीक्षा के लिए आपका दिया शुल्क , हवन ,पूजन,भस्म,ताबीज, साधना,शक्ति,सिद्धि, ध्यान विधि हेतु शुल्क,इत्यादि में गुरु कृपा और आशीष सम्मिलित है जिसका मोल कोई भी शिष्य या साधक नही लगा सकता अतः अपने दिए धन पर अहंकार करने की अभिलाषा है तो कृपा करके आश्रम न आएं।आपके द्वारा दिए गए धन को वापसी की उम्मीद न रखें क्युकी इस अमोल विद्या को सदगुरुदेव जी द्वारा आपके चंद रुपयों से आप खरीद नही रहे हैं और न ही आप पैसे देकर गुरुदेव से ऊंची आवाज या अमर्यादा से वार्ता करने के पात्र घोषित हो जाते हैं। आपको अपने पैसे से ज्यादा मोह है तो कोई आपके हाथ में नाचने वाला गुरु ढूंढ लीजिए जो शिष्य के निर्देशन पर नाचता हो।
- आवश्यक – सदगुरुदेव जी की तरफ देखने के लिए उनके चरणों की तरफ ही देखें ,सदगुरुदेव जी के मुख पर दृष्टि ले जाना अपराध मान आपको बाहर कर दिया जाएगा।गुरुदेव के निवास की तरफ न जाएं न ही वहां ताकते रहें ,उनके कमरे में प्रवेश वर्जित है।
Location
Kaal Bhairav Mandir, Unnamed Road, Bhikhpur, Uttar Pradesh, India. Situated near Lucknow city