एक सुबह दिल्ली के जिज्ञासुओ की मिलने की व्यस्तता में किसी मित्र के बहुत जोर देने में कारण एक व्यक्ति से बस 2 मिनट का मिलने का समय दिया वो भी बस सड़क पर कार का वेट करते हुये।उन महाशय ने मिलते ही शाब्दिक बमवर्षा शुरू कर दी कि ये आप सब ढोंग ढकोसला करते हैं मेरी बीबी 4 साल से बिस्तर पर कोमा की स्थिति में है सब बाबा सन्यासी ज्योतिषि अघोरी से मिल लिया खुद शमशान भी जा के सब कर लिया पर आजतक कुछ नही दिखा मेरी बीवी पर ये सब बोलते हैं कुछ है उस पे किंतु आज तक मुझे कुछ नही लगा न ही दिखा।
जिस गति से उसने मेरे सामने ये शब्द फेंके तो अमर्यादित वाणी के कारण अपने स्वभावगत उग्रावेश में कई गुना तीव्र गति से मेरे मुख से कुछ ऐसे शब्द निकले जिसको मैं खुद नही समझ पाया और उसने मेरा मुह देखते हुए कहा कि क्या कहा आपने मैं समझ नही पाया ।मैं इस व्यवहार से उखड चुका था इस वजह से आगे जाने लगा तभी ही साथ खड़े दूसरे साधक ने भाव समझते हुए स्पष्ट करने का प्रयास करा की श्री तारामणि भाई जी के कहने का अर्थ यह है कि “जब आपमें क्षमता नही तो कैसे कुछ दिखेगा अब आये हो तो ये चुनौती का उत्तर आज मिल जाएगा” ऐसा सुन मैं प्रणाम कर अपनी गाड़ी में बैठ नियोजित कार्यक्रम को चल दिया।
रात्रि 1 बजे उस व्यक्ति ने कई बार कॉल करा क्योंकि रात्रि मैं कॉल नही उठाता तो उस का msg आया कि आपने क्या कर दिया मुझे मेरी बीवी के चेहरे पर कभी कोई भूत का चेहरा ,कभी बीवी की आंख बाहर,कभी जीभ बाहर आती देख रहा हूँ और अपने को जांचते हुए आंख मसलते हुए जब दोबारा उसे देखता हूं तो वो सामान्य भावहीन चेहरा दिखता है फिर थोड़ी देर में कभी उसकी बीवी के मुह से कीड़े निकल रहे कृपया मदद करें मैं आज के बाद कभी नही कहूंगा कि कुछ नही होता।जो सभी साधु बाबा ज्योतिषी जानकार कहते रहे वह आज आपने दिखवा दिया।
———–
कहना सिर्फ इतना है कि संत साधक के समक्ष कुछ भी कहें तो संयम धैर्य मर्यादा को ध्यान में रखते हुए कहें।