गुरु आज मर गया है: The Shocking Truth

Sadgurudev Shri Taramani Aghori

In today’s spiritual marketplace, finding a genuine guru seems harder than ever. Have you ever wondered why authentic spiritual teachers appear to be disappearing?

The Alarming Decline of Spiritual Masters

The Ego Epidemic: How Disciples Are Driving Gurus Away

The modern spiritual seeker’s ego has become an insurmountable obstacle. Gurus’ compassion is increasingly powerless against the tidal wave of disciples’ inflated self-importance. This toxic dynamic is forcing many genuine teachers into hiding, leaving a spiritual vacuum in their wake.

The Rise of the “Convenience Guru”

Today’s seekers aren’t interested in the hard work of spiritual growth. Instead, they’re crafting a new tradition where:

  1. Instant gratification reigns supreme
  2. The disciple expects the guru to follow their lead
  3. Quick fixes are prioritized over genuine transformation

The Dangerous Demands of Modern Disciples

5 Outrageous Expectations That Are Killing Authentic Spirituality

  1. The Magic Eraser: Seekers want gurus to eliminate all their problems, regardless of personal responsibility.
  2. The Cosmic Download: Demands for instant enlightenment without inner work.
  3. The Karmic Cleaner: Expectations that gurus will take on all negative karma, consequence-free.
  4. The Spiritual ATM: Beliefs that true gurus should settle disciples’ financial debts.
  5. The Divine Wingman: Some even judge a guru’s authenticity by their ability to help with romantic pursuits.

Guru's Death

The Hidden Dangers of False Gurus

Why Fake Spiritual Teachers Are Thriving in This Climate

The void left by authentic gurus is being filled by charlatans promising:

  • Instant spiritual attainment
  • Freedom from all life problems
  • Magical solutions to complex issues

These false teachers prey on the laziness and desperation of unprepared seekers, creating a cycle of disillusionment and spiritual materialism.

The 7 Essential Qualities of a Genuine Seeker

  1. Patience
  2. Ability to maintain silence
  3. Simplicity in approach
  4. Unwavering faith
  5. Willingness to follow guidance
  6. Respect for all beings
  7. Keeping spiritual teachings central in all aspects of life

In Hindi

गुरु जन आजकल गायब क्यों है ,कहां चले गए हैं क्या वो मर गए हैं? शायद वो मर गए हैं, क्योंकि शिष्यों के अहंकारों के आगे गुरुओं की करुणा का जोर चलना बन्द हो गया है।अब केवल वो मूर्ख बनके तमाशा देखने को ही अपना धर्म समझ रहे हैं । ये सत्य भी है कि उन्हें जल्द से जल्द अपने करुणामयी रूप को तिरोहित कर देना चाहिए।उनके आस पास अथवा दूर दूर तक जो चेलों की भीड़ लगी हुई है वो कभी भी उनको पुनः जिंदा नही कर सकती है। साधक आज का कोई सिद्धि साधना तंत्र मंत्र मुक्ति ज्ञान प्राप्ति हेतु नही आ रहा हैं वो एक भिन्न प्रकार की परंपरा निर्मित कर रहा है जिसमें साधक चाहता है गुरु उसको अनुसरण करता हुआ चले। वह परम्परा यह है कि आज का साधक अपने भीतर के भस्मासुर को ही वरीयता देता हुआ चलता है। शिवस्वरूप गुरु जनों की करुणामयी असंख्य जन्मों के तपोबल से अर्जित ईश्वरीय ज्ञान सिद्धि साधना को प्रेरणा स्वरूप शिष्य/साधक को प्रदत्त करने पर उसका भस्मासुर अहंकार ग्रसित हो सर्वप्रथम अपने शिवस्वरूप गुरु को ही भस्म करने को आतुर हो जाता है । आज का एकलव्य अँगुष्ठ दक्षिणा पर संदेह पर्वत का ब्यौरा लिए सड़कों पर व्याकुल पाया जाएगा ,किन्तु उस दक्षिणा के मध्य और गुरु के आदेश के पालन के निस्संदेह त्वरित कर्मबन्धन मुक्तिप्रद स्वर्णिम पुर्णिमा की पूर्णता की ओर अग्रसर आत्मजगत को मात्र वास्तविक एकलव्य ही जी पायेगा। आज कल के गुरु क्यों नही बता रहे हैं क्यों नही सीखा रहे हैं क्यों लुप्त से हो गए हैं उस पर कुछ बिंदु पर ध्यान देना अनिवार्य से है:1) गुरु वो चाहिए उनके सारे तँत्र मंत्र को खत्म कर दे भूत प्रेत को नष्ट कर दे भले ही मानसिक बीमारी से ग्रसित हो शिष्य। 2) गुरु वो चाहिए जो शक्तिपात से सीधे खोपड़े में घुसा दे ब्रह्मांड की सारी शक्ति,परन्तु उसे अपने मन विकारों के आगे लड़ने का बल आये कैसे ये नही जानना है और न ही हिम्मत है । 4) गुरु ऐसा चाहिए जो शिष्य के सारे शत्रुओं को समाप्त कर दे और फिर उसे सीखा दे कैसे समाप्त करते हैं ताकि वो समय आने पे अपने गुरु को ही समाप्त कर दे। 5) ऐसे गुरु की डिमांड आज कल ज्यादा है शिष्यों के मार्केट में जहां शिष्य बनने की शर्त शिष्य के करोड़ो लाखों कर्जों का निपटारा निर्धारित करता है। 6) खिसियाये हुए एक कुछ शिष्यों की भीड़ ऐसी भी है जो इस बात से मेरिट बनायेगे जितना गुरु साधक के पाप को अपने ऊपर ले ले उसे कर्म बंधन से मुक्त कर दे उसका कभी कुछ बुरा न हो उसने कभी किसी का अहित किया हैं वो भी गुरु अपने ऊपर ले ले और शिष्य शून्य कर्म बंधन अवस्था को प्राप्त हो जाये और अब वो दोबारा सबकी फाड़ने के लिए तैयार है। 7) एक साधकों की बहुत बड़ी भीड़ तो आइटम है गुरुओं के मनोरंजन कड़ी में,क्या कहना है उस भीड़ का बस ये वाला गुरु ये लड़की पटवा दे तो बस यही असली गुरु घोषित हो जाएगा । इन साधकों के नृत्य भिन्न प्रकार से चेतावनी है उन गुरुओं के लिए इसी लिए वो भी गायब हैं क्योंकि अभी पटवा दी तो वही आगे भी जीवन मे समस्या आये तो बो भी गुरु जी देख लेंगे। 8)एक और है सब गुरु जी की कृपा हैं और जब परीक्षण होता है तो वही गुरु जो कभी उसका शिव था महाकाल था देवो का देव था गुरुर ब्रह्मा गुरूर विष्णु था,वो सब धरा का धरा रह जाता है। अब सारे विश्व की कमियां उसी शिव में दिखने लगे जाती हैं। वो भस्मासुर सदैव से रहा गुरु के निकट और आज के युग मे भी वही भस्मासुर राक्षस गुरुओं के निकट चक्कर लगाता है सिद्धि साधना मुक्ति भक्ति के प्रलोभनों के जाल फेंक के गुरुओं पर क्यों?  क्योंकि जिस प्रकार से झूठे तथाकथित गुरु जाल फेंकते हैं सिद्धि एक पल में कराने का तो उस से वैसा लालची अकर्मण्य असामर्थयावान  नपुंसक साधक अवश्य आकर्षित होता ही है ,ठीक इसी प्रकार कोई भी वास्तविक गुरु आकर्षित होता है समर्पण भक्ति भावना मुक्तिबोध की पिपासा धारण किये साधकों से तो ,वैसे भस्मासुर साधक भी उपलब्ध हो ही जाते हैं ।यह मार्ग गुरु संग धैर्य, मौन, सहज, मर्यादित, अकाट्य श्रध्दा, विश्वास बनाये रखने वालों का आदर्शवादी, आदेश का पालन करने वाला, स्त्रियों का सम्मान करने वाला सभी परिस्थितियों में मन वचन कर्म से गुरु को मध्य में रख के चलने वालों का है । इसमें यदि इन गुणों आनंदित चित्त धारक शिष्य यदि अपने गुरु को ढूढेगा तो गुरु सहज उपलब्ध होगा यदि नही तो गुरु निकट होते हुए भी मरा हुआ होगा।  वास्तविक गुरु तो अवश्य लुप्त होंगे जिन्हें खोजने हेतु वास्तविक साधक की प्यास उसकी यात्रा को बल देगी यही वास्तविक अपने आधार की यात्रा है।आज अभी अपने गुरु को मार दो यदि प्यास नही है भटकों का मार्ग नही है यह वीरता उसके मौन धैर्य शांति सहजता में प्रकट होती है बजाय हंगामें के।

Conclusion: The Path to Authentic Spiritual Guidance

The disappearance of true gurus is a wake-up call for sincere spiritual seekers. By cultivating the essential qualities of a genuine disciple and rejecting the instant-gratification culture of modern spirituality, you can attract authentic guidance. Remember, the journey to find a true guru is as much about your inner transformation as it is about the teacher themselves.

About Author:

Picture of Sadgurudev Shri Taramani Ji

Sadgurudev Shri Taramani Ji

Enlightened Guru of our times. Beloved to his disciples. Expert in Tantra, Mantra, Meditation, Astrology.

Share the post:

About Author:

Picture of Sadgurudev Shri Taramani Ji

Sadgurudev Shri Taramani Ji

Enlightened Guru of our times. Beloved to his disciples. Expert in Tantra, Mantra, Meditation, Astrology.

Share the post:

You may also like:

Akaal Mrityu Death Souls
Knowledge from Gurudev
Sadgurudev Shri Taramani Ji

Understanding Pitra Dosh: Causes, Remedies, and the Importance of Expert Guidance

Pitra Dosh is a significant concept in Vedic astrology, believed to arise due to the unsettled souls of ancestors. When ancestral karmas are left unresolved, they manifest as obstacles in the descendants’ lives, leading to hardships, illnesses, financial troubles, and mental distress. This blog will delve into the causes of

Read More »
Sadgurudev Shri Taramani Ji
Knowledge from Gurudev
Sadgurudev Shri Taramani Ji

मैं क्यों झुकूँ ?

झुकने के लिए अदम्य #साहस चाहिए होता है ,इस जगत में जीव अहम रूपी लाचारी की धरा पे विवशतापूर्ण खड़ा है क्योंकि इस जगत के नियम में जीवित रहने का #युद्ध ही दूसरे के मर्दन पे और मेरे मैं के लौह स्तम्भ पर टिका है । एक मात्र उस परम

Read More »