अपने सम्पूर्ण जीवन जब 8वीं कक्षा की अनजानी सी अल्प बुद्धि लिए अनजाने ही ,इस रहस्यमय लोक में जुड़ जाने के पश्चात आज 30 वर्ष की अपनी पूरी साधनामय यात्रा को देखता हूँ तो पाता हूँ की अनगिनत आत्माओं अच्छी बुरी ,दृश्य अदृश्य ,देव राक्षस हर प्रकार की ऊर्जाओं का एक ठोस धरातल है जिसपे खड़े हो के कइयों की मुक्ति का कारण बनाया गया हूं अस्तित्व द्वारा।इसी 30 वर्षो की यात्रा में श्री काल भैरव कृपा से कल एक शुभ दिन उस पारलौकिक रहस्यमय लड़की की मुक्ति हुई जो कई वर्षों पूर्व आई थी मदद मांगने।
घटना कुछ ऐसी है कि कुछ वर्षों पूर्व ग्रीष्म काल में एक दिवस एक लड़की का आयु करीब 25 -28, दूसरे आयाम,परलोक,रहस्य लोक,सूक्ष्म जगत से मेरे समक्ष प्राकट्य हुआ।क्योंकि बाल्यकाल से ही ध्यान के गहरे प्रयोगों ,दादा एवं परदादाओं के तंत्र व ध्यान जगत की शक्तियों का मूल DNA में उपलब्ध होने व गायत्री मंत्रो के लगातार गहरे प्रयोगों से मेरा संपर्क पूर्व जन्मों एवं अदृश्य जगत के लोगों से अनायास होता रहता था और स्वाभाविक रूप से अनजान था ,ज्ञात न हो पाता था कौन आ रहा ,क्यों आ रहा,कहा से आया ,क्या करना चाहिए।ईष्ट कृपा से एक दिन सभी रहस्यों से पर्दा हट ही गया तभी से ये आना जाना सहायता कैसे करना सबका सिलसिला चालू है।
उस लड़की को सामने देखते ही समझ गया कि उसकी कुछ समस्या है ,अब क्योंकि ये प्रतिदिन का खेल हो चुका था तो ज्यादा मैने ध्यान नही दिया ,की ऐसे तो बहुत आते जाते हैं उसने अपने को ध्यान आकृष्ट न होता देख ,खूब तेज रुदन प्रारम्भ कर दिया और मैने इस दशा को देखते हुए उससे पूछा क्या हुआ क्यों रो रही हो ,क्या काम ,यहां क्यों आना हुआ तो रोते हुए बदहवास सी भागती हुई आई बोली वो मुझे मार देगा, वो खराब है मुझे बचा लो कृपया मुझे बचा लो।वो ऐसे गिड़गिड़ाती गई और मेरा क्रोध बाध्य हुआ फटने को और गुस्से में कहा जाओ भागो ऊपर छत पर मेरे घर मे पेड़ पौधे पुष्प इत्यादि सबकी सेवा रक्षा करो किसी का भी अहित हुआ तो क्रोध का ताप झेलना होगा वो धन्यवाद के भाव को प्रकट करती लुप्त हुई वहां से।उसी क्षण एक बाबा प्रकट हुआ भेष से साधू प्रतीत होता था किसी को भी अच्छा साधु लग सकता था किंतु अक्सर क्षणिक सुखद भ्रम होता है और इस परिस्थिति को भांप गया मैं और गरजते हुए अपने सामान्य क्रोधी व्यवहार से उस पर शाब्दिक बाण चलाये और कहा क्या है क्यों आये भागो यहां से,उत्तर में उसने बड़े नम्र भाव से कहा अरे बाबा आप जानते नही वो लड़की धूर्त है ,धोखेबाज है सब गलत कर्म में लिप्त है वो नुकसान पहुचायेगी आपको,उसे जाने दो मेरे साथ,उसे छोड़ दो बाबा।
अब क्योंकि भैरव बाबा अपना परिणाम की चिंता किये बिना चलता है तो मेरा भी वही व्यवहार है सांसारिक जीवन मे भी कि जो उखाड़ना हो उखाड़ ,तो उसी बिंदास अंदाज़ में उस पे दहाड़ा मैं की अब तो उसे मैने शरण दे दी अब वो कही नही जाएगी।इतना सुनते ही वो सद्व्यवहारी साधु भेष अचानक से अपना दैत्य समान वीभत्स कुरूप सा रूप लिए मुझ पर प्रहार की मंशा से छलांग लगाता है और अचानक मेरे हाथ से एक पाश उसकी ओर जाता है और वो बंधा हुआ गिरने लगता है और एक तेज पैर की ठोकर से वहीं लुप्त होता है जहाँ से पधारा होता है।मुझे प्रकृति से बहुत गहरे से लगाव है पेड़ पौधे पुष्प सब की खूब सेवा में रहता हूँ पर यहां वानर महाराज लोगों को मेरे गमलों, पुष्पों, फलों से अत्यंत प्रेम था वो सब उत्पात मचा के सब खराब कर देते थे फिर मैं सब संभालता था ।क्योंकि मैं विज्ञान, पराविज्ञान, ज्योतिष, मनोविज्ञान व प्रबंधन का विद्यार्थी रहा हूं तो हर पहलू से जांच करके ही मानता हूँ।जिस दिन से उस लड़की को अपने पेड़ पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी यह पाया कि अब वानर महाराज आते पर उस हिस्से में कभी न जा पाते और आज लगभग 10 वर्षों से एक बार भी उस तरफ उन वानरों का जाना न हुआ।यह मेरे लिए संतुष्टि पूर्ण था कि ये कोई भ्रम या मनगढंत नही साक्ष्य है।उस लड़की ने न ही इन वर्षों में किसी को कुछ नुकसान पहुचाया।कुछ संकेत थे कि कल ग्रहण काल मे उसको यहां से मुक्त करने का समय आ गया है और कल कुछ विशेष भैरव छींटों के प्रयोग से उस हस्त बद्ध लड़की को जो अत्यंत आनंद व धन्यवाद के भाव को अश्रुभाव लिए श्री काल भैरव की अनंत करुणापात्र बन खड़ी थी को बाबा काल भैरव नाथ ने मुक्त करा।