जय श्री काल भैरव,
आपके समक्ष कुछ कुछ अनुभव साझा करने का एक मात्र उद्देश्य आपको जागृत करना है,समझाना है ,सुझाना है कि जैसा दिखता ,हमेशा वैसा नही होता।
एक कल की घटना साझा करने का हुआ है तो लिखा जा रहा है।
एक व्यक्ति ने कल मुझे अपने घर ,खेत,मकान,दुकान एवं स्वयं के जांच के लिए निमंत्रण दिया उनके घर के बाहर से ही मृत्यु नाचती दिखी ,रुक के देखा तो उनके परिवार की न हो के उनके मित्र की मृत्यु दिखी और मै अंदर आ के उनको सचेत कर अपने आगे के अनुष्ठान के परिणाम की ओर अग्रसर हुआ ।इसमे अभी मैने इस व्यक्ति को tantra scan करना शुरू करा और पूर्ण रूप से अपने स्वावतार मेरे ईष्ट, मेरे प्राण,मेरे सर्वस्व श्री काल भैरव के पूर्णावतरणोपरांत जैसे ही उस व्यक्ति के भूत, वर्तमान, भविष्य काल की घटित होने वाली घटनाओं का खाका सामने आने लगा और उनके उनकी परेशानियों के मध्य सम्बन्ध समझे और गहराइयों में जब उन पारलौकिक शक्तियों को चीर के ठीक उसी समय जब विघ्नों की समाप्ति की ओर अग्रसर था,अचानक इन व्यक्ति के मित्र ने जोर के धक्के से आगे जाते हुए आहत किया और वो अग्नि जो वहां आंधी बन के समाप्ति, मुक्ति को अग्रसर थी इस मूर्ख पे गिर पड़ी और उस महाक्रोधी कि अत्यंत भयानक ज्वाला ,नेत्र केंद्र को चीरती फाड़ती हुई उस व्यक्ति के मित्र पर गिर पड़ी और वो घबराहट के कारण चीख मारता हुआ गिरते हुए पैरो को संभालता हुआ भाग गया ।इन व्यक्ति ने जिन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि क्षमा करिये ये मित्र मेरे ऐसे ही हैं ज्यादा परवाह नही करते कौन बैठा देख के चलूँ न चलूँ ,ज़्यादातर जब आध्यात्मिक कोई हो।
इधर मैं दोबारा वहां एक क्षण भी न रुक पाया और अज्ञात से आयाम में होता हुआ अपने स्थान आके अपने कर्म में लग गया ।आज उन का कॉल आया और घबराते हुए कहने लगे कि जिस मित्र ने कल अवरोध उत्पन्न किया उनकी कल रात्रि हृदय घात से मृत्यु हो गई और आश्चर्य है कि न कुछ खाना न पीना सादा खान पान फिर भी?मुझे ज्ञात था उस घर मे प्रवेश से पहले ही कि एक मृत्यु थी,एक मुक्ति थी।मैने उनको याद दिलाया कि मैंने सचेत किया था आपको ,वो दुखी हुए काफी।
लेकिन मेरे स्वयं के के वर्षों के अनुभव से यह सीख देता चलता हूँ कि कोई भी हो तुम्हारा कितना बड़ा दुश्मन हो ,यहां तक कि कोई आपका आपकी पीठ पीछे उपहास भी उड़ा रहा हो उसका दंड उसे स्वयं मिलता है और घातक अत्यंत क्रूर बाबा का तो दंड ऐसा है कल्पना से परे इतना वीभत्स।पर शर्त एक है ” सत्यता ” ।पूर्ण ईमानदारी व सत्यता से आप साधक हैं तो आप स्वयं देखेंगे। ऐसे बहुत सारे पाखण्डी लोगो को जानता हूँ जिनके कर्म का फल स्वतः मिला व अत्यंत क्रूर रूप से मिला और कुछ को मिलना बाकी है।उसकी निगाह सबपे रहती बस समय की प्रतीक्षा होती ।इस लिए सभी साधक मित्रों से अनुरोध है कुछ भी आपके विरोध में हो बस सत्यता से अपना कर्म अपनी साधना करते चलें ,दुखी न हों जितना विरोध व उपहास हो उतना और तीव्रता से लग जाएं।जितना आपका उपहास और विरोध हो उतना आप आगे बढ़ें।कई फालतू रुगु अपने नाम के आगे गुरु लगा के ,अघोरी ,बाबा लगाके खूब पाखंड करते चलते हैं पर सचेत रहना अक्सर भोले साधक इस पहनावे व नाम में फस जाते हैं।सत्यता से चलना फिर कोई भी रुगु आये कुछ नही उखाड़ सकता उल्टा और दे के चला जायेगा ।
ऐसे बहुत उदाहरण मेरे स्वयं के साधना जीवन के हैं जिसमे आये वो बड़का गुरु टाइप बन के पर थे घंटाल पाखण्डी उनका हश्र दयनीय है।जो बाबा के सच्चे उपासक को छेड़ेगा स्वतः ही छोड़ दिया जाएगा ।
जय श्री काल भैरव