चप्पल एक तीव्र साधना है जिसमें साधक एक अजीब सी मदहोशी में रहता है जिसका उसे वह चप्पल आभास भी होने देती है।जी हां आज हम आपके गुरु के बारे में बात कर रहे हैं,आपका गुरु आपकी चप्पल है। गुरु बाहरी अनेकोनेक दुर्घटनाओं से या तो पूरा बचाने का प्रायः प्रयास करता है या बचा लेता है जिसका धारण करने वाले को आभास भी नही होने देता जब तक उसका संस्कार बहुत ज्यादा ढीठ न हो। ब उसी तरह चप्पल बचाती है पैर को कांटो ,कंकड़ों ,कीट मिट्टी गंदगी से, दूसरी तरफ भुलावे में रखती है कि नीचे पैरों के सब ठीक है ,जैसे गुरु कभी कभी तीक्ष्ण धार के जैसे चुभता है शिष्य को और भी टूटता है की अरे ये भी पाखंडी गुरु ये भी चुभता है ,लेकिन मूर्ख ये नही देखता की चुभ चप्पल नही रही थी ,चुभ कांटा रहाथा,जैसे ही सहसा कांटा लगता है सत्यता से अवगत कराती है चप्पल की अब बेकार हो गई चुभ रही ,अब बचा नही सकती और दूसरी चप्पल लेने की ओर इंगित करती है अर्थात भगाती है परिस्थिति से ,समझदार साधक वर्तमान में ही स्वयं को बदलता है न की चप्पल को। ै जिसमें साधक एक अजीब सी मदहोशी में रहता है जिसका उसे वह चप्पल आभास भी होने देती है।जी हां आज हम आपके गुरु के बारे में बात कर रहे हैं,आपका गुरु आपकी चप्पल है। गुरु बाहरी अनेकोनेक दुर्घटनाओं से या तो पूरा बचाने का प्रायः प्रयास करता है या बचा लेता है जिसका धारण करने वाले को आभास भी नही होने देता जब तक उसका संस्कार बहुत ज्यादा ढीठ न हो। बीएस उसी तरह चप्पल बचाती है पैर को कांटो ,कंकड़ों ,कीट मिट्टी गंदगी से, दूसरी तरफ भुलावे में रखती है कि नीचे पैरों के सब ठीक है ,जैसे गुरु कभी कभी तीक्ष्ण धार के जैसे चुभता है शिष्य को और भी टूटता है की अरे ये भी पाखंडी गुरु ये भी चुभता है ,लेकिन मूर्ख ये नही देखता की चुभ चप्पल नही रही थी ,चुभ कांटा रहाथा,जैसे ही सहसा कांटा लगता है सत्यता से अवगत कराती है चप्पल की अब बेकार हो गई चुभ रही ,अब बचा नही सकती और दूसरी चप्पल लेने की ओर इंगित करती है अर्थात भगाती है परिस्थिति से ,समझदार साधक वर्तमान में ही स्वयं को बदलता है न की चप्पल को।
💥आज के साधक चप्पल बदलें गुरु बदलें एक ही बात है।💥
जब तक चप्पल नरम मोटी अच्छी है जैसे ही चुभनी शुरू बदल लेने में सुविधा होती है । गुरु जब तक नरम शांत सहज हो नही चुभता, पहने रहने में आसानी है जैसे ही सीख देने शिक्षा देने समझाने की तीव्रता में आता तो वही शिष्य चप्पल रूपी गुरु को स्वयं चप्पलों से मारता ,गालियां देता ही ,बदनाम करने के संक्रमण से बीमार हो जाता है ,बदला लेता है की मुझे कैसे चुभ गई ये चप्पल इसका काम था आराम देना मुझे तो बदला लेना है और खूब अपनी भड़ास निकाल निकाल के स्वयं गुरुद्द्रोह का शिकार बन जाता है और अब चप्पल पहने न पहने उस चप्पल का उपयोग नहीं रह जाता है।
आपकी चप्पल(आपका गुरु) का आपको दंडवत नमन