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Who Is Sadhak How To Find Guru And From Where To Start Kaal Bhairav Sadhna at Shri Kaal Bhairav Ashram And Mandir
"#स्वपनेश्वरी देवी साधना"
पहले युगों में तो लोगों की आयु हजारों सालों की हुआ करती थी।वे-लम्बी-लम्बी साधनायें कर लिया करते थे।जंगलों में रहकर, सन्यासी बन जाया करते थे। अब आदमी की ऊमर 70-80 या ज्यादा से ज्यादा सौ वर्ष की रह गई है। फिर, लोगों के पास लम्बी-लम्बी साधनायें करने का भला समय ही कहाँ रह गया है। ऐसे समय में, लोग कम-समय की यानि Short
"#स्वपनेश्वरी देवी साधना"
पहले युगों में तो लोगों की आयु हजारों सालों की हुआ करती थी।वे-लम्बी-लम्बी साधनायें कर लिया करते थे।जंगलों में रहकर, सन्यासी बन जाया करते थे। अब आदमी की ऊमर 70-80 या ज्यादा से ज्यादा सौ वर्ष की रह गई है। फिर, लोगों के पास लम्बी-लम्बी साधनायें करने का भला समय ही कहाँ रह गया है। ऐसे समय में, लोग कम-समय की यानि Short Cut Tantra Sadhna साधनायें करने लगे हैं। कालानुसार यही फलवती भी हो रही है। “स्वपनेश्वरी-देवी-साधना” भी ऐसी ही, शीघ्र फल देने वाली, भूत, भविष्य व वर्तमान बताने वाली साधना है। साधना आसान है।विधि इस प्रकार है । साफ-स्वच्छ जिस दिन भी, साधक, देवी से कुछ प्रश्न पूछने की इच्छा रखता हो, उस दिन दूध के इलावा कोई भी चीज़ न खाये। स्नान करके, कपड़े पहने। नीचे दिये जा रहे मन्त्र की पाँच-माला का जाप करके, सो जावे। देवी स्वपन में साधक को, उसके प्रश्न (समस्या) उत्तर बता देगी। यदि, साधक, हकीक-माला से नित्य-प्रति मन्त्र की ग्यारह-माला का जापकरे, तो, साधक को, देवी, उसका उत्तर बताती रहती है। दूसरों को, बात-चीत का कुछ भी पता नहीं चलता मन्त्र इस प्रकार है।“ॐ ह्रीं नमः स्वप्नेश्वरी मम् प्रश्नोयविचारार्थम् परिहार्थम अतिता ना गतं कथ्य-कथ्य स्वाहा है।"नोट -(साधक अपना नाम ले)ग्यारह-माला का जाप, प्रतिदिन ग्यारह दिन करने से, साधक को “देवी–स्वपनेश्वरी” की कृपा प्राप्त होती है। कोई भी साधना बिना गुरु मार्गदर्शन के बिना गुरु दीक्षा के नही करें । अन्यथा परिणाम अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं।।
"सदगुरूदेव श्री #तारामणि जी"
{The Enlightened Master}
'श्री काल भैरव आश्रम-लखनऊ'
kaal bhairav mandir
Whatsapp:- 9919935555 www.kaalbhairava.in
धनदा यक्षिणी के चमत्कार देखें नीचे सभी लिंक्स में https://youtube.com/playlist...
#अप्सरा साधना का ज्ञान इस वीडियो में: https://youtu.be/iMZTtjLDMC0
#आज्ञा_चक्र जागरण प्रयोग: https://youtu.be/3HEGCbXbmlg
माँ #बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा* *गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
गुप्त ऋषिकेश सानिध्य साधना शिविर: https://youtu.be/ZEX7KJMpbv0श्री महालक्ष्मी शाबर मंत्र साधना: https://youtu.be/YZViQMI3ZV0भविष्य कथन हेतु वीडियो: https://youtube.com/playlist...
Kaal Bhairava
#अप्सरा ने मुझे जब #सिद्ध #सिक्का दिया(एक गुप्त अनुभव)आपके #जीवन में अनेकोनेक घटनाएं पल प्रति पल घटित होती हैं उनमें अनेकों भुला दी जाती है किंतु कुछ बहुत गहरे उतर जाती है जिसका प्रभाव आपके जीवन पर्यंत ही नही कई कई जन्मों तक खिंचा चला जाता है । ऐसे अनेक अत्यंत उपयोगी व महत्वपूर्ण अनुभवों की श्रंखला से आपके समक्ष सभी साधकों के प्रेरणा हे
#अप्सरा ने मुझे जब #सिद्ध #सिक्का दिया(एक गुप्त अनुभव)आपके #जीवन में अनेकोनेक घटनाएं पल प्रति पल घटित होती हैं उनमें अनेकों भुला दी जाती है किंतु कुछ बहुत गहरे उतर जाती है जिसका प्रभाव आपके जीवन पर्यंत ही नही कई कई जन्मों तक खिंचा चला जाता है । ऐसे अनेक अत्यंत उपयोगी व महत्वपूर्ण अनुभवों की श्रंखला से आपके समक्ष सभी साधकों के प्रेरणा हेतु ईश्वरीय आज्ञा से आपके साथ साझा करने का भाव प्रस्तुत कर रहा हूँ। एक समय जिन दिनों मेरा संसारिकों संग मेल मिलाप असंभव था और मैं #बालकपन में अपनी साधना की गहराइयों को एकत्रित कर रहा था ,मैं मेरी विभिन्न तपस्यास्थलियों में से एक अत्यंत दिव्य गुप्त स्थल भैरवगढ़ी ,जो मेरी अत्यंत गुप्त साधनाओं का साक्षी रहा है जहां साक्षात भगवान कालभैरव विराजमान हैं वहां पर गुप्तता व मौन धारण किये दिन रात से अनजान इष्ट भगवान #भैरव नाथ के गणों मध्य अनेकोनेक लोकों में विचरण किया करता और अत्यंत गुप्त रहस्यों को विशालकाय नयनों से अवाक ग्रहण करता चलता था। इसी समय एक मुख्य गण जिनसे मेरी मित्रता अत्यंत भावुकतापूर्ण हो चुकी थी ,उनसे उत्सुकतावश #अप्सराओं के रहस्य को जानने की अभिलाषा उनके सम्मुख प्रस्तुत करी ,उसी पल एक तीव्र अलौकिक सुगंध से अंतर्मन में एक भिन्न शांति प्रदान करने की तरंग तैर गई ,एक दिव्य गुलामी सी छटा बिखर गई आकाश में पृथ्वी अनेकोनेक अद्वितीय भिन्न कालिक बेल व वृक्षों से लद गई। उन बेलों से पल पल नवीन पुष्प खिल के सुगंध में परिवर्तित होते जा रहे थे और प्रत्येक परिवर्तन के तुरंत बाद एक नवीन भिन्न रंग रूप सुगंध का पुष्प खिल के जैसे दिव्य #हँसी बिखेर रहे थे ।वो सुगन्ध उस #गुलाबीपन को और #मादक बना रही थी ।मेरे प्रत्येक #तंतुओं में जैसे कोई नवीनता लेके संगीतकार कोई दिव्य राग छेड़ रहा हो । उस धीमी सुगन्ध से तंतुओं में होने वाली मद्धम #बंसीधुन की सीढ़ियों पर अपने कोमल सुरों से भी गुह्य ध्वनियों से पदताल रखती हुई प्रकटीकरण की ध्वनियों से सातों छिद्रों से राग छेड़ कर प्रथम अपने दिव्य चरण कमलों का दर्शन दिया । मेरी दृष्टि उन पर पड़ने से ही फिसल रही थी,इतना दिव्यतम शुद्ध संगीतमयी चरण कमल अत्यंत पूजनीय था अतः मैंने प्रणाम अर्पित करा ।इतनी दिव्य अलौकिक प्रक्रियाओं से बाहर कभी कोई नही आना चाहता है किन्तु उसी पल मेरे मित्रवत गण के अट्ठहास नें पल में मधुर सौम्य दृश्य में जैसे मृदङ्ग की जोरदार चोट का सहयोग किया हो।किन्तु उस #अट्टाहास से इस अप्सरा के ताल में राग में मादकता में बेहोशी की अपेक्षा सजगतापूर्वक द्रश्यमान दर्शनीय दिव्यतापूर्ण अनुभवों में आनंद अपने चरम पर जाने लगा। तभी अप्सरा के सौम्य बंसी की कोमल सुरों संग अट्टहास के मृदङ्ग संग अप्सरा के #घुंघुरुओं के छम छम छम छम ,ने अपनी दस्तक दी कहती हुई कि अभी कुछ और सुदूरवर्ती कंदराओं से गंग धार फूटने को है और वो चढ़ती हुई अंतिम हस्त कमल मुद्राओं को माध्यम बना अंतिम नाड़ियां तोड़ बिखर गई गुप्त गुह्य कंदराओं से बाहर बिखेर सब शांत कर ,उसने नमन कर मेरे समक्ष गहरे नीले विशाल नेत्रों से मुझे भौतिक त्वचा पर दृष्टिपात कर भरपूर जोश का आनंद सजग मादकता से पिला दिया । उस पल होने वाले भीतरी बाहरी परिवर्तनों से सजगता से अनभिज्ञ हो सभी स्वीकार्य की स्थितियों में उसको उसके मेरे समीप बढ़ते हुए कोमल सुरों से भी अत्यंत कोमल हाथों को मेरे पास बहते हुए जैसे योगी अपने ईश्वर से मिलने को प्रतीक्षा में निष्क्रियतापूर्ण अनंत काल के पार चला जाये और सजगता होते हुए भी असजग होते हुए का द्रष्टा हो। कंधे पर से उस बहते हुए हाथों को सरकते हुए मेरी हथेलियों पर आना जैसे जल की बूंद का पृथ्वी छूने पर घुल के मिल जाना इतना आश्चर्यजनक रूप से अवाकमय कोमल हाथ में हाथों घुल के सब दृश्य जैसे अब अपनी नृत्यशाला अपने संगीतज्ञ के संग समेटने के इशारे दे रहा हो।सब घुलनशील हो रहा बस एक चमकती किसी गोलनुमा कड़क आभास के मेरे हथेलियों में।सब दृश्य घुलने के पूर्व ही उस गोल आकार के सुनहरे मुद्रा रूप एक सिक्के को हाथ में पाकर पुनः अट्टहास से सिक्के की खनखनाहट को हथेलियों ने आभास किया और अंतिम ध्वनि "यह आपका है देव" सुनते ही सब शांत हो गया । बहुत ही शांत दिव्य प्रकाश संश्लेषण मेरी ऊर्जाओं में होता दृश्य हुआ पुनः उस सिक्के पर दृष्टि पात करते ही उसमें साक्षात रुद्र अथवा भैरव अथवा शिव के दिव्य रूप उकेरे हुए आकाशीय प्रकाश फेंक रहे थे ।मेरे गण मित्र ने सिक्के को प्रणाम करा और मुझसे प्रभावित हो मौन ही मेरे बेहोशी भरे चित्त को सजग करने के प्रयास में आगे की ओर लेके चला।आज भी वर्षों पुराना दिव्य अप्सरा प्रदत्त #भैरव सिक्का मेरे प्राणों के समीप है और उसको कभी किसी पल देखने से ही मात्र अप्सराओं के दिव्य नृत्य ध्वनियाँ सुगन्धों की मधुर बौछार प्रारम्भ हो जाती है और सभी ओर नवीनतम दिव्यता प्रसारित होने लगती है। हृदय उमंग प्रफुल्लता से अकारण ही भर जाता है।अनेक सांसारिक कर्मों की सिद्धि में सहायक यह सिक्का बालकपन में मेरे द्वारा प्रयोग किया गया जिसके फलस्वरूप त्वरित भान हुआ कि दिव्यताओं का प्रयोग दिव्यताओं हेतु ही सार्थक है न कि सांसारिक हेतु।यह वास्तविक अनुभव मात्र समाज में फैली हुई असत्य कहानियों को उखाड़ फेंकने के लिए अत्यंत आवश्यक होने के कारण भगवान भैरव के आज्ञा से आपके समक्ष प्रस्तुत किया है । सम्भव हो उपरोक्त भाषा में कुछ न समझ पाए क्योंकि यह अनुभव बताते हुए मेरे समक्ष अप्सरा का दिया हुआ दिव्य भैरव सिक्का है और हाव भाव दशा छटा सब वैसा ही हो गया है ।#अप्सरा Tantra Sadhna साधना का ज्ञान इस वीडियो में: https://youtu.be/iMZTtjLDMC0इन्ही सब अनुभवों के आधार पर समय समय पर साधकों के जीवन को प्रफुल्लता से भरने के लिए श्री काल भैरव आश्रम kaal bhairav mandir में जो कि लखनऊ में है में अप्सरा दीक्षा शिविर लगते रहते हैं । इसी उपलक्ष में सभी साधकों हेतु हम अप्सरा सिद्धि और उसके भिन्न अनुभवों को साझा करने हेतु एक अप्सरा शिविर का आयोजन गुरु पूर्णिमा के शुभ दिवस पर आयोजित कर रहे हैं जो कि 13 जुलाई को है Kaal Bhairava । अवश्य जीवन में प्रफुल्लता और शांति इत्यादि हेतु इस अवसर को न जाने दें #whatsapp 9919935555 पर जानकारी प्राप्त करेंप्रेरित रहें ,सकारात्मक रहें अपने गुरु का ध्यान रखें ,कब वो चला जाये शरीर से तो पश्चाताप नही होगा,गुरु की आज्ञा व आदेश का सर्वोपरि पालन करना।गुरु मिलना जन्मों की सबसे बड़ी घटना है प्रिय,इस अवसर को जाने न देना कभी।सब छूट जाए चौपट हो जाये सब चला जाये गुरु न जाने देना भले ही तुम्हारा अहंकार न मान रहा हो फिर भी गिर पड़ना और लुटा देना मिटा देना उसके चरणों में जहां से तुम्हारा रास्ता खुल जायेगा
"सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी"
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धनदा यक्षिणी के चमत्कार देखें नीचे सभी लिंक्स में https://youtube.com/playlist...
अप्सरा साधना का ज्ञान इस वीडियो में: https://youtu.be/iMZTtjLDMC0
#आज्ञा_चक्र जागरण प्रयोग: https://youtu.be/3HEGCbXbmlgमाँ #बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा* *गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
गुप्त ऋषिकेश सानिध्य साधना शिविर: https://youtu.be/ZEX7KJMpbv0श्री महालक्ष्मी शाबर मंत्र साधना: https://youtu.be/YZViQMI3ZV0
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Dhanda Yakshini धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि शिविर
Next Month आज के आधुनिक युग में बिना अर्थ (धन) के जीवन यापन करना बहुत ही कष्टकारी हो गया है, चाहे कोई सांसारिक जीवन यापन कर रहा हो या आध्यात्मिक यात्रा कर रहा है। ऐसे सभी जीवात्माओं की करूण पुकार सुनकर उन सभी के आर्थिक उद्धार हेतु 'सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी' द्वारा 'श्री काल भैरव आश
Dhanda Yakshini धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि शिविर
Next Month आज के आधुनिक युग में बिना अर्थ (धन) के जीवन यापन करना बहुत ही कष्टकारी हो गया है, चाहे कोई सांसारिक जीवन यापन कर रहा हो या आध्यात्मिक यात्रा कर रहा है। ऐसे सभी जीवात्माओं की करूण पुकार सुनकर उन सभी के आर्थिक उद्धार हेतु 'सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी' द्वारा 'श्री काल भैरव आश्रम-लखनऊ' में "धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि शिविर" का आयोजन किया जा रहा है। अत्यंत मनोहारी रूपधारण करने वाली "माता धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि" के पश्चात उस साधक के जीवन में धन संबंधित अनेकों मार्ग खुल जाते हैं और धन संबंधित समस्त बाधा दूर हो जाती है, बेरोजगारों को बहुत से रोजगार अवसर प्राप्त होने शुरू हो जातें हैं, और साधक के साधना मार्ग में उसे उचित मार्गदर्शन करके आगे की साधना मार्ग में तपोबल को प्रबल कराने में सहयोग करती है। अपने #जीवन में #धन, मान-सम्मान, रोजगार, ऐश्र्वर्य, अध्यात्मिक भटकाव संबंधित समस्त बाधाओं को दूर करने हेतु आप भी "धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि शिविर" में अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य ही करवाएं! पूर्व में आयोजित "धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि शिविर-सुरत" के सुनहरे क्षण देखने हेतु लिंक पर क्लिक करें:- https://youtu.be/Guu1XIzAW1U "धनदा यक्षिणी साधना सिद्धि शिविर" में अपना रजिस्ट्रेशन कराने हेतु शीघ्र ही सम्पर्क करें::-- धनदा यक्षिणी के चमत्कार देखें नीचे सभी लिंक्स में
Video 1 - https://youtu.be/eTGlgeXDuGw
Video 2- https://youtu.be/AqsVXzhaeAM
Video 3- https://youtu.be/9ccJKT0V4co
Video 4- https://youtu.be/gb5y6S2d__Y
Video 5- https://youtu.be/tSIE4DYwJ0M "सदगुरूदेव डॉ. श्री तारामणि जी"
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पंचांगुली सिद्धि दीक्षा शिविर #पंचांगुली Tantra Sadhna साधना कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि से आरम्भ करके कार्तिक पूर्णिमा तक (एक माह तक जप करके सिद्ध की जाती है।) पंचांगुली साधना एक ऐसी दिव्य, सरल और सुगम साधना है, जिसे कोई भी साधक सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकता है। इसके लिये आवश्यकता है- 1. किसी सिद्ध मुहूर्त की, 2. दृढ़ इच्छा शक्ति की, 3.
पंचांगुली सिद्धि दीक्षा शिविर #पंचांगुली Tantra Sadhna साधना कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि से आरम्भ करके कार्तिक पूर्णिमा तक (एक माह तक जप करके सिद्ध की जाती है।) पंचांगुली साधना एक ऐसी दिव्य, सरल और सुगम साधना है, जिसे कोई भी साधक सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकता है। इसके लिये आवश्यकता है- 1. किसी सिद्ध मुहूर्त की, 2. दृढ़ इच्छा शक्ति की, 3. पंचांगुली देवी की जाग्रत शक्ति सिद्ध गुरुदेव द्वारा4. मंत्र सि़द्ध और प्राण प्रतिष्ठित गुप्त ‘श्री पंचांगुली महायंत्र’ की तथा 5. शुद्ध हकीक से बनी प्राण प्रतिष्ठित की गई माला की। वस्तुतः यह दिव्य साधना 📷 #भविष्य_ज्ञान हेतु श्रेष्ठ साधनाओं में से एक है। #पंचांगुली साधना भारतीय #तंत्र-शास्त्र की श्रेष्ठतम साधना है, क्योंकि इसके माध्यम से भविष्य ज्ञान स्पष्ट हो जाता है, यद्यपि भविष्य का ज्ञान प्राप्त करने का प्रचलित साधन ज्योतिष है, और ज्योतिष का ज्ञान ग्रह नक्षत्रों की गणना या सामुद्रिक शास्त्र (हस्तरेखा-विज्ञान) आदि के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। परन्तु हमारे ऋषियों का यही उपदेश है कि ‘बिना इष्ट के सब कुछ भ्रष्ट है।’ इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी ज्योतिषी तब तक पूर्ण रूप से भविष्य-वक्ता तथा प्रसिद्ध दैवज्ञ नहीं बन सकता जब तक कि उसके पास कोई न कोई सिद्धि न हो। यद्यपि भविष्य ज्ञान के लिए अनेक सिद्धियाँ प्रचलित हैं, परन्तु वे सब कठिन और तुरन्त फलदायक नहीं हैं, इन सब की अपेक्षा ‘पंचांगुली साधना’ अत्यंत सरल होने के साथ तुरन्त और अचूक फलदायक है, साथ ही साथ इस साधना को कोई भी स्त्री या पुरूष सरलता से सिद्ध कर सकता है।जैसा कि आपको अवगत है कि सदगुरुदेव श्री तारामणि जी द्वारा लुप्त सिद्धि पिनाकी राक्षसी जो स्वयं में प्राचीन लुप्त तंत्रों में व्याप्त थी किंतु आतताइयों द्वारा विध्वंस के कारण इसके लिखित प्रमाण उपलब्ध नही है किंतु सदगुरुदेव जी द्वारा पिनाकी सिद्धि के पुनर्जागरण को सभी सच्चे साधकों द्वारा कराया जा रहा है।यह सिद्धि वास्तव में अकाट्य सिद्धि है इसके सिद्ध साधक ब्रह्मांड में उंगलियों पर गिने जा सकते हैं क्योंकि यह सिद्धि पूरे ब्रह्मांड में मात्र एक सदगुरुदेव के माध्यम से प्राप्त हो सकती है । पंचांगुली का सिद्ध साधक किसी भी व्यक्ति के भूतकाल भविष्य काल को स्पष्ट रूप से कुछ ही पल में देख कर बता सकता है।विश्वविख्यात् सामुद्रिक शास्त्री ‘कीरो’ ने भी भारत में ही आकर हस्तरेखा का ज्ञान प्राप्त किया था तथा ‘पंचांगुली देवी’ की साधना सिद्ध की थी।यदि आप ज्योतिष विद्या के हस्तरेखा विज्ञान को अपने जीवन का आधार बनाने में इछुक हैं तो अवश्य शिवरात्रि के पावन अवसर पर इसकी दीक्षा प्राप्त कर सिद्ध यंत्र लेकर साधना प्रारम्भ कर सकते हैं।
Kaal Bhairava
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माँ बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
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प्रिय गुरुभाइयों, मेरे गुरु जी को मेरे अनुरोध से गुरु आज्ञा से मैं अपने साधना के अनुभूतियों को आप सभी से साझा कर रहा हूँ, उम्मीद है कि कुछ आंशिक मार्गदर्शन जरूर प्राप्त होगा ।आज से करीब डेढ़ साल पहले मैंने गुरु जी की आज्ञा आदेश और मार्गदर्शन से यक्षिणी Tantra Sadhna साधना आरंभ की थी, सूचित कर दूं कि तब मुझे सद्गुरुदेव Shri Taramani Ji स
प्रिय गुरुभाइयों, मेरे गुरु जी को मेरे अनुरोध से गुरु आज्ञा से मैं अपने साधना के अनुभूतियों को आप सभी से साझा कर रहा हूँ, उम्मीद है कि कुछ आंशिक मार्गदर्शन जरूर प्राप्त होगा ।आज से करीब डेढ़ साल पहले मैंने गुरु जी की आज्ञा आदेश और मार्गदर्शन से यक्षिणी Tantra Sadhna साधना आरंभ की थी, सूचित कर दूं कि तब मुझे सद्गुरुदेव Shri Taramani Ji से दीक्षा प्राप्त नहीं हुई थी, मैंने तो बहुत तड़प से परीक्षा की उस दिन की जब मेरी दीक्षा हुई, ये सुअवसर 7 वर्ष बाद आया इस वर्ष गुरु पूर्णिमा को... मुझे आप सब जितना जल्दी दीक्षा नहीं मिली, बीच मे के धोखेबाज और झूठे अघोरी और सिर्फ बोलने के गुरु ठग थे बहुत सारे मिले ,मैं भटका फिर सद्गुरु ने संभाला फिर गिरा फिर संभाला, मेरे 7 वर्ष के इंतेजार तड़प ने मुझमें बहुत कुछ बदल के रख दिया, मुझे गुरुसानिध्य का मोल पता है, वैसे ही जैसे प्यासे को जल की एक बूंद का मोल पता है... बून्द कौन कहे मुझे तो अनंत महासागर ही मिल गया जब प्रथम बार मैंने यक्षणी पुरश्चरण साधना करी, तब तो मैंने बहुत सारी गलतियां करी थी, एक तो अति जिज्ञासा की होते ही लाभ मिलेगा, तो पहली बार में मुझे ज्यादा कुछ नहीं मिला न महसूस हुआ...थोड़ा उदास हताश हुआ क्योंकि मैंने बहुत अच्छे से प्रथम पुरश्चरण किया था अपनी समझ के अनुसार,किन्तु कोई फल नही प्राप्त हुआ, जब मैंने इसकी चर्चा सद्गुरुजी से की तब उनके द्वारा पता चला कि मैंने यक्षिणी से पूछा था तुम्हारे लिए, उसने कहा था इसका संस्कार ऐसा नही की इतना आसानी से फलित हो जाये, यक्षिणी ने 5 बार पुरश्चरण करने की सलाह दी थी...गुरुदेव जी ने एक और बात कही, जो वो अक्सर आप सबसे भी कहते रहते हैं : हजार बार कहा है चाहोगे तो नही चाहे जाओगे , देखो ये सब गुप्त रहस्य का प्राकट्य होगा समय पे, लेकिन चाह रखोगे तो कोई नही आयेगा, सब हसेंगे खड़े होके तुमपे ।ये दिशानिर्देश प्राप्त होने पे, और हृदय में इस बात की खुशी भी हुई कि प्रथम पुरश्चरण व्यर्थ नहीं गया, फिर गुरु जी की कृपा से सारी गलतियों को सुधारते हुये, समस्त जाने अनजाने में हुई शारीरिक मानसिक आत्मिक वाचिक कायिक कार्मिक भूल चुक के लिये क्षमा मांग मैंने दूसरी बार पुरश्चरण किया, दूसरी बार मुझे आंशिक अनुभूति हुई, तो उसकी वजह से मैं मेरे अंदर तीव्र प्यास जगी और पुनः मैंने तीसरी बार पुरश्चरण किया, तीसरी बार करते वक्त मुझे जैसे ही मेरी प्रतिदिन की संकल्पित साधना संपन्न होती थी कहीं ना कहीं से कुछ पैसे मिलते थे, तो बहुत खुशी होती थी। धीरे धीरे जब पांचवी बार साधना शुरू हुई, मुझे कुछ बहुत ही अच्छे बिजनेस के कुछ प्रपोजल मिलते गए, ऐसे करते-करते मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया यक्षिणी साधना में, और मेरा आर्थिक स्तर भी उठता गया, पुरश्चरण के दौरान गुरु आदेश का अक्षरसः पालन करते हुये मैंने नौवीं बार पुनः पुरश्चरण किया, पुरश्चरण सम्पन्न होते ही मुझे एक बेहद ही शानदार बिज़नेस शुरुआत करने का अवसर मिला, पूर्व के पुरश्चरण करनें से जो धन लाभ हुआ था उसे संचित करता जा रहा था, उस संचित धन से मैंने अपना बिज़नेस शुरू किया और बहुत ही अच्छे से किया, काफी धन लाभ हुआ, धन की कोई दिक्कत रह नहीं गई थी, मैंने लाखो कमाएं, बहुत सी जिम्मेदारियों को अच्छे से निर्वहन किया...उसके बाद वो दिव्य दिवस आया मेरे जीवन में जब मैंने गुरु दीक्षा ली, Kaal Bhairava गुरु दीक्षा लेने के बाद मैंने गुरु मंत्र के दो पुरश्चरण की और उसके बाद गुरु जी की आज्ञा से मैंने वापस यक्षिणी साधना मंत्र पुरश्चरण करी। पहले ही दिन से ही मुझे यक्षिणी माता के आसपास होने का अनुभव होने लगा....मैं करीब रोज 200 माला जप प्रतिदिन किया करता था, जब पुरश्चरण का अंतिम दिवस था तब एक रनिंग बिजनेस में मुझे अपॉर्चुनिटी मिली 25% शेयर प्रॉफिट में की प्लस 20000 पर मंथ सैलरी जो कि मुझ सामान्य जीवन यापन करने वाले के लिए बहुत बड़ी बात थी।पर यहां पर एक दिक्कत थी कि मुझे सुबह 8:00 बजे जाना पड़ता था और रात 10:00 बज जाता घर आते आते... एक तरफ अर्थ लाभ सम्पन्न जीवन फिर भी मैं खुश नहीं था...कारण था कि मैं पुरश्चरण फल प्राप्ति से ज्यादा अधिक से अधिक जप से ध्यान और् मौन की तरह मुड़ गया था, उसमें जो आनंद था उसके आगे अर्थ प्राप्ति भी गौण थी...अगर मैं, साधना को दूसरी प्राथमिक्ता देता और बिज़नेस को प्रथम तो निःसंदेह मेरी साधना वहीं पर अटक जाती , फिर होता ये की ना ही मैं कभी किसी भी शिविर में उपस्थित हो पाता ना कुछ कालभैरव ध्यान संस्थान ट्रस्ट के लिए काम कर पाता ।\यहाँ गुरुसेवा का अवसर है, ध्यान जप साधना है, ट्रस्ट का कार्यभार ऐसा है कि जो मेरे व्यावसायिक अनुभव हैं उनका मैं यहां प्रयोग कर सभी संघर्ष कर रहे साधकों के जीवन में ट्रस्ट के माध्यम से सहायक बन सकूंगा... kaal bhairav mandir तब मैं सिर्फ और सिर्फ स्वयं के लिये जीता था अब न जाने कितने लोगों के लिये जीना शुरू कर दिया है...कल तक कुएं में अब बहता हुआ पोखरे में आ गया हुआ...साधक का आरंभिक जीवन भी कुएं नाले में पड़े गंदे मैले बदबूदार जल सा होता है, पर जब मंत्र रूपी सूर्य की जप रूपी ऊष्मा पड़ती है वो भी उठ पड़ता है अनंत की चाह में...अब साधना के फैलाव को उसके आनंद को जी रहा हूँ...भीतर ही भीतरविनती यही है कि, आप सब अच्छी तरह से साधना करें, जप करें, पुरश्चरण करें....उस मंत्र रूपी सूर्य की जप रूपी ऊष्मा को महसूस करें...स्मरण रहे , अभी जो जरूरी लग रहा है साधना में, बाद मैं कुछ और जरूरी हो जायेगा...भौतिक जीवन जिसके पीछे हम भागते हैं, जिसके लिये ही हम साधना शुरू करते हैं... वो सब यात्रा में छूट ही जाता है ऐसा मेरा स्वयं का अनुभव है वरना आज मैं भी अपना सेट बिज़नेस छोड़ यूं खाली जेब होते हुये भी मौज में न घूम रहा होता...एक चित्र आप सबके साथ मैं साझा कर रहा हूँ, जो यक्षिणी साधना के नौवें पुरश्चरण के हवन का है, यहां माता साक्षात आपको दिखेंगी(जिसको न् दिखे गुरुदेव से पूछ लें उनके द्वारा ही कन्फर्म किया गया यह तब मैं आपको बता रहा हूँ)साधना करिये, दिल से करिये, डूब के करिये, झूम के करिये, आनंदमग्न हो करिये वीर भाव से करिये...जिसकी भी साधना आप कर रहे हों उससे जुड़िये और जैसा गुरुदेव कहें ठीक वैसा ही जुड़िये अपने मन से कुछ न् करिये।जुड़ना जरूरी है...समर्पण जरूरी है और शुरुआत गुरु से होता हैबस इतना ही... *"सदगुरूदेव श्री तारामणि जी"* {The Enlightened Master} 'श्री काल भैरव आश्रम-लखनऊ'® (A Registered Private Organization) Whatsapp:- 9919935555 www.kaalbhairava.in #आज्ञा_चक्र जागरण प्रयोग: https://youtu.be/3HEGCbXbmlgमाँ बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
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"पीर - बिरगहना - साधना” (बलिष्ठ देव साधना)हमेशा, सेवक की तरह साथ रहने वाले “बिरगहना-पीर' की साधना अत्यन्त सरल है। चौदह दिन की यह Tantra Sadhna साधना करके, साधक, बलिष्ठ देव समान पीर से, कुछ भी काम करा सकता है।मंत्र-“पीर-बिरगहना धुंधु करे सवा सेर सवा तोला खाय, अस्सी कोस धावा करे सात सौ कुतल आगे चले सात सौ कूतल पीछे चले छप्पन से छुरी चले व
"पीर - बिरगहना - साधना” (बलिष्ठ देव साधना)हमेशा, सेवक की तरह साथ रहने वाले “बिरगहना-पीर' की साधना अत्यन्त सरल है। चौदह दिन की यह Tantra Sadhna साधना करके, साधक, बलिष्ठ देव समान पीर से, कुछ भी काम करा सकता है।मंत्र-“पीर-बिरगहना धुंधु करे सवा सेर सवा तोला खाय, अस्सी कोस धावा करे सात सौ कुतल आगे चले सात सौ कूतल पीछे चले छप्पन से छुरी चले वावन से वीर चले जिसमें गढ़ गजनी का पीर चले औरों की धजा उखाड़ता चले अपनी धजा टेकता चले सोते को जगाता चले बैठे को उठाता चले हाथों में हथकड़ी गेरे पैरों में बेड़ी गेरे हलाल माही। दिठ करें माही पीठ करे पहलवान नवी कूं याद करे ठः ठः ठः ।" (साधक अपना नामअवश्य ले)साधना विधि-किसी ग्रहणकाल या होली की रात से ही, यह साधना प्रारम्भ की जा सकती। इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। साधक एकान्त स्थान या एकान्त कमरे में स्वच्छ कपड़े पहन कर, आसन पर साधना करें।अपने पास चमेली के फूल, हलवा व चमेली की फूलमाला भी रखें। साधना काल तक, तेल का अखण्ड दीपक जलाकर रखना अनिवार्य है। एक बार मंत्र बोल कर, अपने आसन के सामने, दीपक के पास, चमेली का एक फूल छोड़कर (रखकर) पूजन करें। दीपक की लौ-को हलवा (कड़ाह) का भोगलगाएं। तीन माला, प्रतिदिन जाप करें। हर-माला जाप के बाद हलवे का भोग लगावे तथा चमेली का फूल चढ़ावे। बाद में माला को भी दीपक केसामने, अन्य फूलों के पास रख दें। इस प्रकार लगातार, बिना नागा के बिरगहना पीर की साधना करता रहे। साधना के अन्तिम दिन यानि, चौदहवें दिन पीर सशरीर प्रकट होकर साधक के सामने आये तो साधक को चाहिएकि वह बिना किसी भय के, पीर को चमेली की फूल माला पहना देवे तथा उसके हाथों में हलवा (कड़ाह-प्रसाद) भी दे-दे। तब से 'बिरगहना-पीर' जीवन भर साधक का सेवक बन कर रहेगा। साधना के नियमः-साधना में, ब्रह्मचर्य का पालन, शुद्धता, गुप्तता, निरन्तरता अनिवार्य है। इस साधना को, होली की रात्रि या ग्रहण काल में ही प्रारम्भ किया जा सकता है। अपनी मन-मर्जी सेhttps://youtu.be/gqrHNldSgPo" rel="noopener" target="_blank"> कभी भी नहीं
कोई भी साधना बिना गुरु मार्गदर्शन के बिना गुरु दीक्षा के नही करें । अन्यथा परिणाम अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं।।
"सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी"
{The Enlightened Master}
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'श्री काल भैरव आश्रम-लखनऊ
Kaal Bhairava
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#अप्सरा साधना का ज्ञान इस वीडियो में: https://youtu.be/iMZTtjLDMC0
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माँ #बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा* *गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
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मोहम्मदा वीर साधना" (इच्छापूर्ण साधना) यह अत्यन्त सरल, अचूक, मुसलमानी साधना है । सिद्ध होने पर मोहम्मदा-वीर प्रकट होकर, साधक की सभी इच्छायें तत्काल पूरी करता है। यह एक Tantra Sadhna शक्तिशाली, मुसलमानी देवता है। यह पीर-पैगम्बर की तरह शक्तिशाली, सरल व दयालू है। सौम्य-देवता होने के कारण, एक ही बार में की गई मात्र, इक्कीस दिन की साधना से प्र
मोहम्मदा वीर साधना" (इच्छापूर्ण साधना) यह अत्यन्त सरल, अचूक, मुसलमानी साधना है । सिद्ध होने पर मोहम्मदा-वीर प्रकट होकर, साधक की सभी इच्छायें तत्काल पूरी करता है। यह एक Tantra Sadhna शक्तिशाली, मुसलमानी देवता है। यह पीर-पैगम्बर की तरह शक्तिशाली, सरल व दयालू है। सौम्य-देवता होने के कारण, एक ही बार में की गई मात्र, इक्कीस दिन की साधना से प्रकट हो जाता है। साधना अति सरल है। साधना विधि-किसी भी नौ-चन्दी जुमेरात (शुक्र की रात) को,वस्त्र पहन कर, तहमद या धोती तथा सिर पर ज़ालीदार टोपी पहनकर, साधक घुटने मोड़कर बैठकर, लोबान की, धूप देकर पूजा को आरम्भ करें। प्रत्येक मंत्र के अन्त में लोबान की धूनि देकर सिर निवाये । इस प्रकार इक्कीस मंत्र तथा इक्कीस लोबान धूप की आहुतियां डालकर प्रतिदिन ऐसा ही। पूरे इक्कीस दिन साधना करने से, मुहम्मदा वीर साधक के सामने आकर उसके सभी मनोरथ पूर्ण करेगा। है- तो ये एक आसुरी-साधना। फिर भी साधक ब्रह्मचार्य का पालन अवश्य करें। मंत्र इस प्रकार है । मंत्र-‘‘बिस्मिल्ला रहिमानिर्रहीम पांच घूंघरा कोट जंजीर जिस पर खेले मुहम्मदा वीर्, सवा मन का तीर जिस पर खेलता आवे मोहम्मदा वीर, हाथ-पैर की खावे पीर सूखी नदी वहावे नीर नीला घोड़ा नीली जीन जिस पर चढ़े मुहम्मदा वीर, सवा सेर का पीसा खाय अस्की की खबर लगाये मार-मार करता आवे बांध-बांध करता आवे, डाकिनी को बांध कुवा-बाबड़ी से लाबो सोती कोलाबो, पीसती को लावो, पकाती को लाबो, जल्दी जावो हजरत इमाम हुसैन की जांघ से निकाल कर लावो, बीबी फातमा के दामन में खोल कर लावो नहीं तो माता का चूखा दूध हराम करे।" (साधक अपना नाम ले) साधना के समय, तेल का दिया पूरे समय तक, ताकि मुहम्मदा वीर को आने में कोई कठिनाई न आये। कोई भी साधना बिना गुरु मार्गदर्शन के बिना गुरु दीक्षा के नही करें । अन्यथा परिणाम अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं।
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माँ #बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
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कई लोगो को हमेशा एक भय बना रहता है कि कहीं कोई उनका अहित न करे अथवा वो हमेशा अपने आस पास कोई ऋणात्मक ऊर्जा आभास करते रहते हैं या वो अक्सर किसी न किसी रूप से अपने शत्रुओं द्वारा सताए जाते रहते हैं उन सभी के लिए एक अनुभूत प्रयोग दे रहा हूँ किंतु शर्त इतनी सी है कि "आप गलत मंशा से नही करेंगे ,एक,दूसरा आप समर्पित भाव से करेंगे" तो अवश्य प्रयो
कई लोगो को हमेशा एक भय बना रहता है कि कहीं कोई उनका अहित न करे अथवा वो हमेशा अपने आस पास कोई ऋणात्मक ऊर्जा आभास करते रहते हैं या वो अक्सर किसी न किसी रूप से अपने शत्रुओं द्वारा सताए जाते रहते हैं उन सभी के लिए एक अनुभूत प्रयोग दे रहा हूँ किंतु शर्त इतनी सी है कि "आप गलत मंशा से नही करेंगे ,एक,दूसरा आप समर्पित भाव से करेंगे" तो अवश्य प्रयोग सफल होगा और यदि ज्यादा समझदारी करी तो फिर आप स्वयं देख लेना कौन ज्यादा समझदार है।
ठीक अब प्रयोग, करना ये है कि सर्व प्रथम स्नान इत्यादि, भूत शुद्धि ,आसान शुद्धि ,दिकबन्धन इत्यादि करके रात्रि 12 बजे 1 मार्च अर्थात जब अंग्रेजी तिथि के हिसाब से 1 मार्च से 2 मार्च में प्रवेश होता है तब आसन बिछा सामने एक मिट्टी के बड़े पात्र में पान के पत्ते के ऊपर कपूर की ढेरी लगाएं (इतनी की 15 मिनट जकल सके)21 लौंग साबुत बड़े बड़े फैला के रख दें कपूर के ऊपर ,अब हल्का सा सुर्ख लाल सिंदूर छिड़के, 5 मिनट रुकें कमर सीधी करके प्राणायाम करें और स्वास में आते जाते स्वास में बहुत गहरे जाप करें "भैरव" बस #भैरव ही जपना है लगातार कई बार ।(एक बात ध्यान रखें हृदय में प्रेम ही प्रेम हो बाबा के लिए अनंत प्रेम,इस समय भी दिमाग न चलाएं बस डूब जाएं भैरव प्रेम में) अब दो जायफल रखें उस ढेरी के ऊपर दो इलाइची रखें अब इन सबके ऊपर एक बताशा साबुत रखें थोड़ा सा चुटकी लाल सुर्ख सिंदूर छिड़क उस पर जरा सा दही रखें ।अब एक सरसों के तेल का दिया लगाए रखें धूप #गुग्गल की लगाएं ,साथ #मदिरा की छोटी बोतल रखें ।एक अनार साबुत अपने पास रखें एक चाकू रखें अपने आसन के नीचे व दो सिगरेट भी रखें।
अपना गुरु मंत्र करें,गुरु आज्ञा के पश्चात ही ये साधना शुरू करें ।
#भैरव कवच का 11 बार पाठ करें और उनकी शक्तियों का आभास आपके आस पास होना शुरू हो जाएगा ,भय भी व्याप्त होने लगेगा वातावरण में,उनके करोड़ो असंख्य शक्ति पुंजों की सेना गुजरने लगेगी, आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे, होने दें प्रार्थना करें और बाबा श्री काल #भैरव से हृदय से प्रार्थना करें उनकी कृपा पाने हेतु,खूब गहराई लाएं प्रार्थना में ऐसा हो जाए कि आप न बचे हों सिर्फ प्रार्थना बच जाए अश्रुधार को बहने दें और सामान्य हो जाएं जब आपको ठीक लगे ।
अब जाप शुरू करें मंत्र "ॐ ह्रीम भैरव भं भैरव ह्रीम ॐ"
रुद्राक्ष माला से ।
बार बार सावधान कर रहा हूँ ,भले कितने बड़े आप #साधक हो कितने बड़े भगवान या #गुरु हो चुके हो यदि अपने दिमाग ने चालाकी ,चंट ,धूर्तता करी तो अपने परिणाम के स्वयं जिम्मेदार होंगे।
इन मंत्र की 108 माला जपें बिना उठे ,दिया जलता रहे तेल कम न हो ध्यान रखें।आंख बंद रखें ध्यान सिर्फ #आज्ञा_चक्र पे रखें ।आंख न खोलें।
कमर सीधी ,हिलना डुलना न करें।कोई भी रुकावट से आपका आसन छोड़ने का मन करे न छोड़ें बिल्कुल भी ये संकल्प लें पहले ही कि आसन नही छोड़ना।जप समर्पण करें।जाप सम्पूर्ण होने पर आंख बंद कर इस मंत्र जाप की आंधी के बाद के सन्नाटे के शोर को भीतर महसूस करें बाबा श्री काल भैरव से उनकी कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें और जो भोग सामने रखा है कपूर पर अग्नि देते हुए बाबा श्री काल भैरव जी से भोग ग्रहण करने की प्रार्थना हृदय की गहराई से करें और उस अग्नि को एक टक देखते रहें और थोड़ी सी मदिरा उस पात्र पर एक तरफ धार बना के धीरे धीरे गिरा दें।इसमे कोई संकल्प नही है कारण ये है कि बाबा की कृपा हुई तो शत्रु नाश।
नोट-यह साधना अपने गुरु से पूछ के करें,नही हैं तो कृपया न करें और अनार चाकू सिगरेट इन सबका प्रयोग गुप्त मंत्र के साथ एक क्रिया का होगा ।वो मैं उनको बता दूंगा जो वास्तविक रूप से साधना करना चाहते हैं।मुझे 9919935555 पर कॉल या whatsapp कर के पता कर सकते हैं।
बिना गुरु दीक्षा के नही करें । अन्यथा परिणाम अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं।
Kaal Bhairava
"सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी"
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#आज्ञा_चक्र जागरण प्रयोग: https://youtu.be/3HEGCbXbmlg
माँ #बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
गुप्त ऋषिकेश सानिध्य साधना शिविर: https://youtu.be/ZEX7KJMpbv0
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अथ नवार्ण विधि
(सर्व प्रथम हाथ मे या आचमनी मे जल लेकर विनियोग मंत्र पढकर छोडे )
ॐ अस्य श्री नवार्ण मंत्रस्य
ब्रम्हविष्णुरुद्रा ऋषय:,
गायत्रि उष्णिक अनुष्टुभ छंदांसि ,
श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवता: ,
ऐं बीजं ह्रीं शक्ति: क्लीं कीलकं, श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:
अब न्यास करे .. वैसे नवार्ण मंत्र के एका
अथ नवार्ण विधि
(सर्व प्रथम हाथ मे या आचमनी मे जल लेकर विनियोग मंत्र पढकर छोडे )
ॐ अस्य श्री नवार्ण मंत्रस्य
ब्रम्हविष्णुरुद्रा ऋषय:,
गायत्रि उष्णिक अनुष्टुभ छंदांसि ,
श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवता: ,
ऐं बीजं ह्रीं शक्ति: क्लीं कीलकं, श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:
अब न्यास करे .. वैसे नवार्ण मंत्र के एकादश न्यास है लेकीन सरलता की दृष्टीसे यहाँ हम कुछ महत्त्वपूर्ण न्यास ही लेंगे
ऋष्यादि न्यास:
1) ब्रम्हविष्णुरुद्र ऋषिभ्यो नम: शिरसि !
( दाये हाथ से शिर को स्पर्श करे )
2) गायत्रि उष्णिक अनुष्टुभ छंदोभ्यो नम: मुखे !
( दाये हाथ से मुख को स्पर्श करे )
3) महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवताभ्यो नम: हृदि !( हृदय को स्पर्श करे)
4) ऐं बीजाय नम: गुह्ये ! ( गुह्य स्थान को स्पर्श करे और हाथ धोये या मानसिक दृष्टीसे स्पर्श करे )
5) ह्रीं शक्तये नम: पादयो ! ( पैर को स्पर्श करे )
6) क्लीं कीलकाय नम: नाभौ ! (नाभी को स्पर्श करे )
7) ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नम: सर्वांगे
( सर से लेकर पैर तक संपूर्ण शरीर को स्पर्श करे )
कर न्यास:
1) ॐ ऐं नम: अंगुष्ठाभ्यां नम: ! ( तर्जनी से अंगुठे को स्पर्श करे )
2)ॐ ह्रीं नम: तर्जनीभ्यां नम: ! ( अंगुठे से तर्जनी जो स्पर्श करे )
3) ॐ क्लीं मध्यमाभ्यां नम: ! ( अंगुठे से मध्यमा को स्पर्श करे )
4) ॐ चामुंडायै अनामिकाभ्यां नम: ( अंगुठे से अनामिका का स्पर्श करे )
5)ॐ विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नम: ( अंगुठे से करांगुली का स्पर्श करे )
6) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे
7) करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ( दोनो हाथ के तलवे और कर पृष्ठ का स्पर्श करे )
हृदयादि न्यास :
---------------------
1) ॐ ऐं हृदयाय नम : !
( दाहिने हाथ से हृदय को स्पर्श करे )
2) ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा !
( दाहिने हाथ से सिर को स्पर्श करे )
3) ॐ क्लीं शिखायै वषट !
( दाहिने हाथ से शिखा को स्पर्श करे )
4) ॐ चामुंडायै कवचाय हुम !
( दाहिना हाथ बाये कंधे पर और बाया हाथ दाहिने कंधे पर )
5) ॐ विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट
( दाहिने हाथ की तर्जनी और अनामिका से दोनो आंखों पर और मध्यमा से आज्ञा चक्र पर स्पर्श करे )
6) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे अस्त्राय फट
( दाहिने हाथ की तर्जनी और मध्यमा को सर के उपर से घुमाकर बाये हाथ पर ताली बजाये )
अक्षर न्यास :
दाहिने हाथ से उक्त अंग को स्पर्श करे
1) ॐ ऐं नम: शिखायाम ! ( शिखा )
2) ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे ! ( दाहिना नेत्र )
3) ॐ क्लीं नम: वामनेत्रे ! ( बाया नेत्र )
4) ॐ चां नम: दक्षकर्णे ! ( दाहिना कान )
5) ॐ मुं नम: वामकर्णे ! ( बाया कान )
6) ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे ! ( दाहिना नथुना )
7) ॐ यैं नम: वामनासापुटे ! ( बाया नथुना )
8) ॐ विं नम: मुखे ! ( मुख )
9) ॐ च्चें नम: गुह्ये ! (गुह्य स्थान )
दिग्न्यास
अब नीचे दिये हुये क्रम से प्रत्येक दिशा मे चुटकी बजाये .. अपना मुख पूर्व की तरफ है ऐसा मानकर clock wise direction मे चुटकी बजाये
1) ॐ ऐं प्राच्यै नम: ! ( पूर्व )
2) ॐ ऐं आग्नेय्यै नम: ! ( आग्नेय )
3) ॐ ह्रीं दक्षिणायै नम: ! (दक्षिण )
4) ॐ ऐं नैऋत्यै नम: ! ( नैऋत्य )
5) ॐ क्लीं प्रतिच्यै नम: ! ( पश्चिम)
6) ॐ क्लीं वायव्यै नम: ! ( वायव्य )
7) ॐ चामुंडायै उदिच्यै नम: ! ( उत्तर )
8) ॐ चामुंडायै ऐशान्यै नम: ! ( ईशान्य)
9) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे उर्ध्वायै नम :! ( उपर )
10) ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे भूम्यै नम:( नीचे )
अब भगवती दुर्गा जी का अगर पहले ध्यान और पंचोपचार पूजन नही किया हो तो अब करे और किया हो तो सीधे मंत्र जाप शुरु कर सकते है ..
दुर्गा ध्यान:-
विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कंधस्थितां भीषणां !
कन्याभि:करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेवितां !
हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं !
बिभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे !!
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम : लं पृथ्वी तत्वात्मकं गंधं समर्पयामि
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम : हं आकाश तत्वात्मकं पुष्पं समर्पयामि
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम : यं वायु तत्वात्मकं धूपं समर्पयामि
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम : रं अग्नी तत्वात्मकं दीपं समर्पयामि
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम : वं जल तत्वात्मकं नैवेद्यं समर्पयामि
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम : सं सर्व तत्वात्मकं तांबुलं समर्पयामि
नवार्ण मंत्र जाप से पहले अगर सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ किया जाये तो अतिउत्तम क्योंकि कुंजिका स्तोत्र से नवार्ण मंत्र जागृत हो जाता है ..
अब आप योनी मुद्रा आती हो तो मुद्रा दिखाये और मंत्र जाप शुरु करे ..
मंत्र जाप रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला या हकिक माला से या मुंगे की माला से कर सकते है ..
ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे
मंत्र जाप खत्म होने के बाद नीचे का मंत्र बोलकर आपका जाप भगवती के बाये हाथ मे ( मानसिक दृष्टीकोण से ) समर्पित करे ..
ॐ गुह्याति गुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणा अस्मद कृतं जपं !
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत प्रसादात महेश्वरी !!
अब क्षमा प्रार्थना करे
आवाहनं न जानामि, न जानामि तवार्चनं
पूजां चैव न जानामि , क्षम्यतां परमेश्वरी
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तीहीनं सुरेश्वरी
यतपूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे !!
अब योनि मुद्रा दिखाकर प्रणाम करे11
बिना गुरु दीक्षा के नही करें । अन्यथा परिणाम अत्यंत खतरनाक हो सकते हैं। Kaal Bhairava "सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी" {The Enlightened Master}
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यदि आप 786 नोट की सुलेमानी तंत्र साधना के इच्छुक हैं तो आप निम्न बिंदु पढ़ें :
1) एक सिद्ध 786 का नोट होना चाहिए जिसको एक विशेष यंत्र के ऊपर रख कर साधना की जाती है ।
2) इस सुलेमानी साधना हेतु आश्रम कर खाते में आपको 5100 जमा करने होंगे
3) फिर स्क्रीनशॉट भेजें
4) इसके पश्चात आपको 786 नोट की सुलेमानी साधना जो की 41 दिन की साधना होती है।
5) यदि आ
यदि आप 786 नोट की सुलेमानी तंत्र साधना के इच्छुक हैं तो आप निम्न बिंदु पढ़ें :
1) एक सिद्ध 786 का नोट होना चाहिए जिसको एक विशेष यंत्र के ऊपर रख कर साधना की जाती है ।
2) इस सुलेमानी साधना हेतु आश्रम कर खाते में आपको 5100 जमा करने होंगे
3) फिर स्क्रीनशॉट भेजें
4) इसके पश्चात आपको 786 नोट की सुलेमानी साधना जो की 41 दिन की साधना होती है।
5) यदि आपके पास 786 वाला सिद्ध नोट नही है तो उसके लिए आपको 21000 आश्रम के खाते में जमा करके प्राप्त कर सकते हैं क्युकी ये नोट प्रथम दुर्लभ है द्वितीय इसको सिद्ध गुरुदेव जी द्वारा किया जाता है।
लाभ:
१)इस साधना के लाभ से धन के आपके जीवन में कई रास्ते खुल जाते हैं।यदि आपकी दुकान है तो दुकान में लोग नही आते हैं तो इसके द्वारा आपकी दुकान पर ग्राहक का आकर्षण बन जाता है।
२)यदि आप नौकरी में है और आपके नौकरी में अवरोध आते हैं तो इस साधना के माध्यम से तरक्की,प्रमोशन इत्यादि के अवसर बढ़ जाते हैं।
३) अचानक कभी भी कहीं से आकस्मिक लाभ की स्थिति बनती रहती है।
४) कई बार यह साधना से सोना चांदी रुपया इत्यादि अंजान जगह पर साधक को मिलता रहता है।
५) यह साधना इतनी गूढ़ और अज्ञात है कि किसी को भी यह साधना का भान नही हैं
सदगुरुदेव जी के पूर्व के साधना काल के सुलेमानी गुरुओं द्वारा प्राप्त विशिष्ट साधना निश्चित रूप से साधकों के जीवन की सबसे अनोखी साधना होगी।
दिशा : दक्षिण पश्चिम
वस्त्र: सफेद
टोपी: सफेद
आसान : सफेद
लोहबान व गुगल को उपले पर धूनी
सिद्ध माला : सफेद
साधना से पूर्व आवश्यक : ..............
सहयोग राशि जमा करने के पश्चात आप प्राप्त कर सकते हैं
श्री काल भैरव आश्रम
Whatsapp 9919935555
हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें, फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से आहुति देते हुए हवन शुरू करें।
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)।
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।
ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।
ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।
ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।
ॐ महा
हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें, फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से आहुति देते हुए हवन शुरू करें।
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)।
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।
ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।
ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।
ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।
ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा।
ॐ हनुमते नम: स्वाहा।
ॐ भैरवाय नम: स्वाहा।
ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा।
ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा।
ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा।
ॐ शिवाय नम: स्वाहा।
ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुते स्वाहा।
ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि: भूमि सुतो बुधश्च:
गुरुश्च शुक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: भवंतु स्वाहा।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा।
ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें।
गणेशजी की आहुति दें।
सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करें।
सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें।
प्रथम से अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें और पांच बार घी की आहुति दें।
पुनः गुरु मंत्र की आहूति 108 बार
फिर आपके अनुष्ठान के मंत्र से जाप के दशांश की आहूति दें।
हवन के बाद गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें जिसको वोलि कहते हैं।
फिर पूर्ण आहूति नारियल में छेद कर घी भरकर, लाल तूल लपेटकर धागा बांधकर पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विधिस्यते स्वाहा।'
क्षमा याचना मंत्र-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
अर्थ- हे परमेश्वर, मैं आपको न तो बुलाना नहीं जानता हूं और न ही विदा करना जानता हूं। न ही मैं विधिवत आपकी पूजा करना जानता हूं। मेरे अपराधों के लिए मुझे क्षमा करें। मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया तथा न ही मैं आपकी भक्ति करना जानता हूं। फिर भी अपनी क्षमता अनुसार पूजा कर रहा हूं, कृपया मेरी भूल को क्षमा कर मुझ अज्ञानी की पूजा को पूर्णता प्रदान करें। मुझे क्षमा कर मेरे अहंकार को दूर करें।
पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा इष्ट के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें और इष्ट से क्षमा याचना करते हुए क्षमा मांगें।
साधक तर्पण, मार्जन,कन्या भोज ,ब्राह्मण भोज दक्षिणा ,ब्राह्मण से आशीर्वाद ले के संपूर्ण करें।
भस्म का सभी जन तिलक करें।
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