गुरु जी आपकी चप्पल हैं
चप्पल एक तीव्र साधना है जिसमें साधक एक अजीब सी मदहोशी में रहता है जिसका उसे वह चप्पल आभास भी होने देती है।जी हां आज हम आपके गुरु के बारे में बात कर रहे हैं,आपका गुरु आपकी चप्पल है। गुरु बाहरी अनेकोनेक दुर्घटनाओं से या तो पूरा बचाने का प्रायः प्रयास करता है या बचा लेता है जिसका धारण करने वाले को आभास भी नही होने देता
गुरु जी आपकी चप्पल हैं
चप्पल एक तीव्र साधना है जिसमें साधक एक अजीब सी मदहोशी में रहता है जिसका उसे वह चप्पल आभास भी होने देती है।जी हां आज हम आपके गुरु के बारे में बात कर रहे हैं,आपका गुरु आपकी चप्पल है। गुरु बाहरी अनेकोनेक दुर्घटनाओं से या तो पूरा बचाने का प्रायः प्रयास करता है या बचा लेता है जिसका धारण करने वाले को आभास भी नही होने देता जब तक उसका संस्कार बहुत ज्यादा ढीठ न हो। ब उसी तरह चप्पल बचाती है पैर को कांटो ,कंकड़ों ,कीट मिट्टी गंदगी से, दूसरी तरफ भुलावे में रखती है कि नीचे पैरों के सब ठीक है ,जैसे गुरु कभी कभी तीक्ष्ण धार के जैसे चुभता है शिष्य को और भी टूटता है की अरे ये भी पाखंडी गुरु ये भी चुभता है ,लेकिन मूर्ख ये नही देखता की चुभ चप्पल नही रही थी ,चुभ कांटा रहाथा,जैसे ही सहसा कांटा लगता है सत्यता से अवगत कराती है चप्पल की अब बेकार हो गई चुभ रही ,अब बचा नही सकती और दूसरी चप्पल लेने की ओर इंगित करती है अर्थात भगाती है परिस्थिति से ,समझदार साधक वर्तमान में ही स्वयं को बदलता है न की चप्पल को। ै जिसमें साधक एक अजीब सी मदहोशी में रहता है जिसका उसे वह चप्पल आभास भी होने देती है।जी हां आज हम आपके गुरु के बारे में बात कर रहे हैं,आपका गुरु आपकी चप्पल है। गुरु बाहरी अनेकोनेक दुर्घटनाओं से या तो पूरा बचाने का प्रायः प्रयास करता है या बचा लेता है जिसका धारण करने वाले को आभास भी नही होने देता जब तक उसका संस्कार बहुत ज्यादा ढीठ न हो। बीएस उसी तरह चप्पल बचाती है पैर को कांटो ,कंकड़ों ,कीट मिट्टी गंदगी से, दूसरी तरफ भुलावे में रखती है कि नीचे पैरों के सब ठीक है ,जैसे गुरु कभी कभी तीक्ष्ण धार के जैसे चुभता है शिष्य को और भी टूटता है की अरे ये भी पाखंडी गुरु ये भी चुभता है ,लेकिन मूर्ख ये नही देखता की चुभ चप्पल नही रही थी ,चुभ कांटा रहाथा,जैसे ही सहसा कांटा लगता है सत्यता से अवगत कराती है चप्पल की अब बेकार हो गई चुभ रही ,अब बचा नही सकती और दूसरी चप्पल लेने की ओर इंगित करती है अर्थात भगाती है परिस्थिति से ,समझदार साधक वर्तमान में ही स्वयं को बदलता है न की चप्पल को।
💥आज के साधक चप्पल बदलें गुरु बदलें एक ही बात है।💥
जब तक चप्पल नरम मोटी अच्छी है जैसे ही चुभनी शुरू बदल लेने में सुविधा होती है । गुरु जब तक नरम शांत सहज हो नही चुभता, पहने रहने में आसानी है जैसे ही सीख देने शिक्षा देने समझाने की तीव्रता में आता तो वही शिष्य चप्पल रूपी गुरु को स्वयं चप्पलों से मारता ,गालियां देता ही ,बदनाम करने के संक्रमण से बीमार हो जाता है ,बदला लेता है की मुझे कैसे चुभ गई ये चप्पल इसका काम था आराम देना मुझे तो बदला लेना है और खूब अपनी भड़ास निकाल निकाल के स्वयं गुरुद्द्रोह का शिकार बन जाता है और अब चप्पल पहने न पहने उस चप्पल का उपयोग नहीं रह जाता है।
आपकी चप्पल(आपका गुरु) का आपको दंडवत नमन
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गुरु जन आजकल गायब क्यों है ,कहां चले गए हैं क्या वो मर गए हैं? शायद वो मर गए हैं, क्योंकि शिष्यों के अहंकारों के आगे गुरुओं की करुणा का जोर चलना बन्द हो गया है।अब केवल वो मूर्ख बनके तमाशा देखने को ही अपना धर्म समझ रहे हैं । ये सत्य भी है कि उन्हें जल्द से जल्द अपने करुणामयी रूप को तिरोहित कर देना चाहिए।उनके आस पास अथवा दूर दूर तक जो चेलों
गुरु जन आजकल गायब क्यों है ,कहां चले गए हैं क्या वो मर गए हैं? शायद वो मर गए हैं, क्योंकि शिष्यों के अहंकारों के आगे गुरुओं की करुणा का जोर चलना बन्द हो गया है।अब केवल वो मूर्ख बनके तमाशा देखने को ही अपना धर्म समझ रहे हैं । ये सत्य भी है कि उन्हें जल्द से जल्द अपने करुणामयी रूप को तिरोहित कर देना चाहिए।उनके आस पास अथवा दूर दूर तक जो चेलों की भीड़ लगी हुई है वो कभी भी उनको पुनः जिंदा नही कर सकती है। साधक आज का कोई सिद्धि साधना तंत्र मंत्र मुक्ति ज्ञान प्राप्ति हेतु नही आ रहा हैं वो एक भिन्न प्रकार की परंपरा निर्मित कर रहा है जिसमें साधक चाहता है गुरु उसको अनुसरण करता हुआ चले। वह परम्परा यह है कि आज का साधक अपने भीतर के #भस्मासुर को ही वरीयता देता हुआ चलता है। शिवस्वरूप गुरु जनों की करुणामयी असंख्य जन्मों के तपोबल से अर्जित ईश्वरीय ज्ञान सिद्धि साधना को प्रेरणा स्वरूप शिष्य/साधक को प्रदत्त करने पर उसका भस्मासुर अहंकार ग्रसित हो सर्वप्रथम अपने शिवस्वरूप गुरु को ही भस्म करने को आतुर हो जाता है । आज का एकलव्य अँगुष्ठ दक्षिणा पर संदेह पर्वत का ब्यौरा लिए सड़कों पर व्याकुल पाया जाएगा ,किन्तु उस दक्षिणा के मध्य और गुरु के आदेश के पालन के निस्संदेह त्वरित कर्मबन्धन मुक्तिप्रद स्वर्णिम पुर्णिमा की पूर्णता की ओर अग्रसर आत्मजगत को मात्र वास्तविक एकलव्य ही जी पायेगा। आज कल के गुरु क्यों नही बता रहे हैं क्यों नही सीखा रहे हैं क्यों लुप्त से हो गए हैं उस पर कुछ बिंदु पर ध्यान देना अनिवार्य से है:1) गुरु वो चाहिए उनके सारे तँत्र #मंत्र को खत्म कर दे भूत प्रेत को नष्ट कर दे भले ही मानसिक बीमारी से ग्रसित हो शिष्य। 2) गुरु वो चाहिए जो शक्तिपात से सीधे खोपड़े में घुसा दे ब्रह्मांड की सारी शक्ति,परन्तु उसे अपने मन विकारों के आगे लड़ने का बल आये कैसे ये नही जानना है और न ही हिम्मत है । 4) गुरु ऐसा चाहिए जो शिष्य के सारे शत्रुओं को समाप्त कर दे और फिर उसे सीखा दे कैसे समाप्त करते हैं ताकि वो समय आने पे अपने गुरु को ही समाप्त कर दे। 5) ऐसे गुरु की डिमांड आज कल ज्यादा है शिष्यों के मार्केट में जहां शिष्य बनने की शर्त शिष्य के करोड़ो लाखों कर्जों का निपटारा निर्धारित करता है। 6) खिसियाये हुए एक कुछ शिष्यों की भीड़ ऐसी भी है जो इस बात से मेरिट बनायेगे जितना गुरु साधक के पाप को अपने ऊपर ले ले उसे कर्म बंधन से मुक्त कर दे उसका कभी कुछ बुरा न हो उसने कभी किसी का अहित किया हैंवो भी गुरु अपने ऊपर ले ले और शिष्य शून्य कर्म बंधन अवस्था को प्राप्त हो जाये और अब वो दोबारा सबकी फाड़ने के लिए तैयार है। 7) एक साधकों की बहुत बड़ी भीड़ तो आइटम है गुरुओं के मनोरंजन कड़ी में,क्या कहना है उस भीड़ का बस ये वाला गुरु ये लड़की पटवा दे तो बस यही असली गुरु घोषित हो जाएगा । इन साधकों के नृत्य भिन्न प्रकार से चेतावनी है उन गुरुओं के लिए इसी लिए वो भी गायब हैं क्योंकि अभी पटवा दी तो वही आगे भी जीवन मे समस्या आये तो बो भी गुरु जी देख लेंगे। 8)एक और है सब गुरु जी की कृपा हैं और जब परीक्षण होता है तो वही गुरु जो कभी उसका शिव था महाकाल था देवो का देव था गुरुर ब्रह्मा गुरूर विष्णु था,वो सब धरा का धरा रह जाता है। अब सारे विश्व की कमियां उसी शिव में दिखने लगे जाती हैं। वो भस्मासुर सदैव से रहा गुरु के निकट और आज के युग मे भी वही भस्मासुर राक्षस गुरुओं के निकट चक्कर लगाता है सिद्धि साधना मुक्ति भक्ति के प्रलोभनों के जाल फेंक के गुरुओं पर क्यों? क्योंकि जिस प्रकार से झूठे तथाकथित गुरु जाल फेंकते हैं सिद्धि एक पल में कराने का तो उस से वैसा लालची अकर्मण्य असामर्थयावान नपुंसक साधक अवश्य आकर्षित होता ही है ,ठीक इसी प्रकार कोई भी वास्तविक गुरु आकर्षित होता है समर्पण भक्ति भावना मुक्तिबोध की पिपासा धारण किये साधकों से तो ,वैसे भस्मासुर साधक भी उपलब्ध हो ही जाते हैं ।यह मार्ग गुरु संग धैर्य, मौन, सहज, मर्यादित, अकाट्य श्रध्दा, विश्वास बनाये रखने वालों का आदर्शवादी, आदेश का पालन करने वाला, स्त्रियों का सम्मान करने वाला सभी परिस्थितियों में मन वचन कर्म से गुरु को मध्य में रख के चलने वालों का है । इसमें यदि इन गुणों आनंदित चित्त धारक शिष्य यदि अपने गुरु को ढूढेगा तो गुरु सहज उपलब्ध होगा यदि नही तो गुरु निकट होते हुए भी मरा हुआ होगा। वास्तविक गुरु तो अवश्य लुप्त होंगे जिन्हें खोजने हेतु वास्तविक साधक की प्यास उसकी यात्रा को बल देगी यही वास्तविक अपने आधार की यात्रा है।आज अभी अपने गुरु को मार दो यदि प्यास नही है भटकों का मार्ग नही है यह वीरता उसके मौन धैर्य शांति सहजता में प्रकट होती है बजाय हंगामें के।"सदगुरूदेव डॉ. श्री #तारामणि जी" {The Enlightened Master} 'श्री काल भैरव आश्रम-लखनऊ' Whatsapp:- 9919935555 www.kaalbhairava.in 📷📷📷📷📷धनदा यक्षिणी के चमत्कार देखें नीचे सभी लिंक्स में📷 https://youtube.com/playlist...#अप्सरा साधना का ज्ञान इस वीडियो में: https://youtu.be/iMZTtjLDMC0#आज्ञा_चक्र जागरण प्रयोग: https://youtu.be/3HEGCbXbmlgमाँ #बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा* *गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर: https://youtu.be/iE4f4CpBfmkगुप्त ऋषिकेश सानिध्य साधना शिविर: https://youtu.be/ZEX7KJMpbv0श्री महालक्ष्मी शाबर मंत्र साधना: https://youtu.be/YZViQMI3ZV0भविष्य कथन हेतु वीडियो: https://youtube.com/playlist..
MBA के पश्चात मेरे अपने कई वर्षों के प्राइवेट कंपनियों में मैनेजमेंट में कार्य करने के अनुभव के आधार पर मैने देखा किस तरह से भिन्न भिन्न कंपनियों के अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का अनैतिक शोषण करते हैं और उनकी निजी कमजोरियों का फायदा अपने स्वयं के अहंकार को पोषित करने के लिए उठाते हैं। कुुुछ सुलझे हुए भी होते हैं। इसमें मैने दो पहलूओं
MBA के पश्चात मेरे अपने कई वर्षों के प्राइवेट कंपनियों में मैनेजमेंट में कार्य करने के अनुभव के आधार पर मैने देखा किस तरह से भिन्न भिन्न कंपनियों के अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का अनैतिक शोषण करते हैं और उनकी निजी कमजोरियों का फायदा अपने स्वयं के अहंकार को पोषित करने के लिए उठाते हैं। कुुुछ सुलझे हुए भी होते हैं। इसमें मैने दो पहलूओं को केंद्र में रखा ।प्रथम जिसका शोषण हो रहा ,उसमें तेज की कमी होना अर्थात ओज न् होना, बल का न होना जिस वजह से सामने से नकारात्मक ऊर्जाएं हावी हो जाती हैं और यह व्यक्ति पीड़ित हो जाता है।द्वितीय यह पाया कि सामने जो उच्च पद पर आसीन है उसके पद पे होने के अहंकार को यदि सामने अधीनस्थ कर्मचारी से हवा न मिले तो उस स्थिति में अहंकार का पोषित ना होना उस पद की गर्मी को कम अनुभव कराता है ,जो उसकी अपनी एक रुग्ण मानसिक अवस्था का परिचय है,जिसे आध्यात्मिक कमजोरी के कारण स्वीकार्य नही कर पाता है।
अब प्रश्न है, ऐसे दुष्ट अधिकारी से कैसे निपटें ।निपटने के कई कोण हैं कहीं से भी प्रवेश किया जा सकता है किंतु यहां तंत्र के माध्यम से दुष्ट अधिकारी को कैसे सुधार के, सही पंक्ति में लाया जाए उसके कुछ अपने अनुभवों में से एक साझा करूँगा।
एक कंपनी में अधिकारी अत्यधिक कामलोलुप,अहंकारी अधीनस्थ को दबाने वाला था ईश्वरीय कृपा से मेरा स्थानांतरण उस विभाग में हो गया ,क्योंकि शुरू से काल भैरव नाथ की कृपा पात्र रहा तो उग्रता हमेशा से झलकती रही ,वहां जब मैंने हाल देखा सहकर्मियों का ,उनकी अधिकारी से मिलने वाली पीड़ा का तो नीति, नियम, नैतिकता, छल, कपट की सीमा उल्लंघन पर इस दुष्ट अधिकारी को सही से राह पर लाने का श्री काल भैरव से आशीर्वाद ले एक सबसे ऊर्जा विहीन व्यक्ति से ,जो कि अत्यधिक पीड़ित था अधिकारी से उस से कुछ तंत्र के प्रयोग करवाये । ये जो बड़े बड़े आजके तांत्रिक,ओझा,बाबा टाइप आ के अहं से कहते हैं की मैं यह काम कर दूंगा वो कर दूंगा स्पष्ट कर दु ,यह क्रिया इस ऊर्जा विहीन व्यक्ति से कराने का अर्थ ही यह था कि न् आप करते न् कोई और कुछ करता करने वाला कोई और ही है,तो इस घमंड में न रहना श्रेष्ठतम होगा की वो कुछ कर रहे। जब उनसे मैने यह क्रिया उस boss के विरोध में कराई तो सर्वप्रथम तो उसकी(अधिकारी) ऊर्जा ह्रास होना शुरू हो गया,फिर जब उसकी ऊर्जा क्षीण हुई तब कुछ एक आध प्रयोगों से और कुछ गुप्त विधानों के भयावह अनुभवों से उसकी आत्मा तक हिल गई जिस से उसको सारी कहानी समझ आ गई ,जब मैंने उसकी आँखों में आंखे डाल के तंत्र को परिभाषित किया उन सभी अधीनस्थ कर्मचारियों के समक्ष। इस घटना के पश्चात उनमे बहुत परिवर्तन आया। अर्थ यह है तंत्र का मलहम उचित स्थान में लगाने से रोग निवारण अत्यंत आसान हो सकता है यदि नीति,नियम,सत्यता पर साधक चल रहा है तो ।
ऐसे मेरे पास कई boss पीड़ित आते हैं परामर्श हेतु तो प्रथम तो सुझाव यह रहता है कि भय न् करें किसी से भी और यदि बात नही बनती है तो बॉस के साथ बैठ कर मामलों को सुलझाने की सलाह देता हूँ। अंतिम जब कुछ नही होता तो बॉस की खाट खड़ी करनी पड़ती है और कईयों को लाइन पे लाया गया है। कुछ ज्यादा मूर्ख , अनैतिक और उजड्ड होते है जो पद की गरिमा के विरुद्ध हो रहे होते हैं फिर उनका मैं व्यक्तिगत रूप से संज्ञान ले के कर्म करता हूँ।बाकी हमारा बाबा जाने।
ज्योतिर्विद व ध्यान मार्गदर्शक पं. श्री तारामणि जी
(ज्योतिषीय परामर्शक,ध्यान मार्गदर्शक,पारलौकिक रहस्यविद,मृतात्मा सम्पर्ककर्ता)
[इष्ट सिध्दि साधना,त्राटक साधना,यक्षिणी साधनाओ में सफलता हेतु संपर्क करे]
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मेरे पास कई call , msg और व्यक्तिगत लोग मिलने आते हैं जो अपने #विवाह में हो रही देरी को ले के दुखी रहते हैं।तमाम ज्योतिषियों को कुंडलियाँ दिखा दिखा के लाखों रुपये उपायों में बर्बाद करके ,तथाकथित गुरुओं की youtube और किताबों में दी हुई साधनाओं को करने के पश्चात असफलता को पा , बहुत ही उदास और नकारात्मकता लिए जब मेरे पास आते हैं तो उनकी #कु
मेरे पास कई call , msg और व्यक्तिगत लोग मिलने आते हैं जो अपने #विवाह में हो रही देरी को ले के दुखी रहते हैं।तमाम ज्योतिषियों को कुंडलियाँ दिखा दिखा के लाखों रुपये उपायों में बर्बाद करके ,तथाकथित गुरुओं की youtube और किताबों में दी हुई साधनाओं को करने के पश्चात असफलता को पा , बहुत ही उदास और नकारात्मकता लिए जब मेरे पास आते हैं तो उनकी #कुंडली न देख के मैं उनसे #tantra_scanning कराने का उचित परामर्श देता हूँ और उसके पीछे एक ठोस कारण ये है कि मेरा कई वर्षों का सफल प्रयोगों का अनुभव।उसी अनुभवों में से एक बहुत सुंदर भावुक क्षण मेरे साथ हुआ जिसको आपके साथ साझा करने को उत्सुक हूँ। मेरे #उत्तराखंड निवास के पास के #गांव में एक शुभ दिवस जब श्री काल भैरव जी के पूजन के उद्देश्य से 3 दिन के लिए वहां उपलब्ध था तो एक #कन्या अपनी #माता के साथ अपनी परेशानी को लिए किसी के माध्यम से मुझ तक डरते हुए अपनी बात पहुँचाई।क्योंकि मैं हर किसी को परामर्श देने में इच्छुक नही रहता हूँ तो टाल देने के भाव मे आता हूँ किन्तु इनके संदेश को पा #श्री_काल_भैरव के आदेश को स्वीकारते हुए उनको भीतर बुलाया और सम्पूर्ण हृदय से उनकी बात सुनी और कन्या पर छेदन दृष्टि डालते ही उस कन्या के रहस्यों को जब उधेड़ना शुरू करा तो जैसे ही #श्री_क्रोध_भैरव के अति भयंकर रूप ने गहरी हुँकार भरी तो जिन शक्तियों के कारण विवाह में अवरोध था वो सभी एक एक करके सामने आने लगीं और एक एक करके चीत्कार मचाती हुई असहाय , एक कोने से दूसरे कोने भागती हुई क्रोध ज्वाला से भस्म हुईं और कन्या बेहोश हो गिर पड़ी।इसी के साथ उसकी माता को कुछ नियम पालन बताये और #श्री_काल_भैरव के आदेश से 3 महीने में #विवाह का संकेत दिया।कुछ नियम में से एक महत्वपूर्ण ये भी है जो सभी कन्याओं को ध्यान देना चाहिए कि "आप अपने दुपट्टे को जमीन से सरकता हुआ न होने दें" इसके पीछे भी गहरा कारण है,ये उनको भी कहा दूसरा "नदी ,नहर नही लांघना" ऐसे कुछ छोटे उपायों को करने मात्र से ही उस कन्या का रिश्ता जो 7 साल से नही हो रहा था मात्र 1 माह में #सगाई व 3 महीने में #विवाह सम्पूर्ण हुआ।जब वो मिलने आये मुझसे वो इतने खुश थे की कुछ बोल ही न पाए बस हाथ जोड़ के रोते रहे और मैं अवाक सा अपने प्राण #श्री_काल_भैरव के अनंत अथाह करुणा सागर में डूब गया।
ज्योतिर्विद व ध्यान मार्गदर्शक पं. श्री तारामणि जी (ज्योतिषीय परामर्शक,ध्यान मार्गदर्शक,पारलौकिक रहस्यविद,मृतात्मा सम्पर्ककर्ता) [इष्ट सिध्दि साधना,त्राटक साधना,यक्षिणी साधनाओ में सफलता हेतु संपर्क करे]
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वैसे तो अक्सर ही मेरे संपर्क में ऐसे पीड़ित आते हैं जो किसी न किसी परिजन के शरीर छूटने के पश्चात परेशान रहते हैं और उनकी परेशानी के निवारण के माध्यम बनने के बाद उनके सुख व आनन्द के क्षणों को जब उनके साथ साझा करता हूँ तो अत्यंत आनंद आभास करता हूं।ऐसे ही एक पीड़ित से भेंट दुगड्डा ,उत्तराखंड के पहाड़ी किनारे नहर तट प्रकृतिमय आनंद के क्षणों में
वैसे तो अक्सर ही मेरे संपर्क में ऐसे पीड़ित आते हैं जो किसी न किसी परिजन के शरीर छूटने के पश्चात परेशान रहते हैं और उनकी परेशानी के निवारण के माध्यम बनने के बाद उनके सुख व आनन्द के क्षणों को जब उनके साथ साझा करता हूँ तो अत्यंत आनंद आभास करता हूं।ऐसे ही एक पीड़ित से भेंट दुगड्डा ,उत्तराखंड के पहाड़ी किनारे नहर तट प्रकृतिमय आनंद के क्षणों में हुई।वो व्यक्ति पास ही के प्राकृतिक जल स्रोत से अपनी प्यास बुझा आस पास चहल कदमी कर रहे थे ,मेरी वेश भूषा इत्यादि देख नीचे नहर तट पर उतर कर मुझे मेरे व प्रकृति के मध्य हो रहे मौन संवाद को अवरुद्ध करने की क्षमा मांगते हुए धीरे से कहा मैं मनोज।उस आयाम के नृत्यों सहसा जैसे ही उस पर दृष्टि गई तो उस व्यक्ति के पीछे तीन पारलौकिक जगत की आत्माएं बहुत ही दुखी ऊर्जा लिये विलाप करती दिखीं।देखना मनोज को हो रहा किंतु मैं लग गया इन तीनो से संवाद में और जो भी वार्ता हुई उस से इस मनोज के मेरे इस अचानक मिलने की #भैरव मंशा का पता लग चुका था।इसी बीच मनोज अपना परिचय और परेशानी भी बताता जा रहा था ।उसकी आर्थिक ,शारीरिक व मानसिक स्थिति काफी समय से खराब थी और बीच बीच मे स्वप्न में उनको उनके पिता माता और दादा जी सपने में उसके सामने आके रोते थे उसी समय से इनकी स्थिति खराब होती चली गई और 5 वर्षों से बहुत ज्यादा परेशान हैं और पूर्ण दुखी भाव से गर्दन झुके हुए बहते अश्रु को मैने पोंछते हुए उनको गले लगाया और ढांढस बंधाया की सब ठीक होगा।आपके पितर दुखी हैं पीड़ित हैं उनका श्राद्ध कर्म इत्यादि कई वर्षों से नही कराया जा रहा है और आपका पूरा परिवार अपने पितरों की उलाहना की पाराकाष्ठा पार कर चुका है। उसी रात्रि आने का उनके पितरों को मैने उसी समय निमंत्रण दिया और इनको अपने स्थान पर आगे की पूजा इत्यादि के लिए ले गया।रात्रि में #काल_भैरव होम के पश्चात जब मनोज के पितरों को तंत्र की मेरी कुछ गुप्त पद्दत्तियो के माध्यम से आगे की यात्रा का मार्ग जब खुला तो एक तीव्र ऊर्जा पुंज से मनोज की आंख चुंधिया गई और सब शांत हो गया।बाबा श्री काल भैरव का धन्यवाद करते हुए रात्रि पूजन सम्पन्न कर अगले दिन उनको विदा करते समय उनके अपने शब्द "गुरु जी पता नही एक बोझ से मेरे कंधों पर हमेशा कई वर्षों महसूस होता था आज सुबह से मैं एक बोझ मुक्त हो चुका हूँ मुझे ज्ञात नही पर अब मैं निश्चिन्त हूँ आपके आशीर्वाद से मेरा जीवन सुखमय होगा" मैं जय श्री काल भैरव कहते हुए आगे बढ़ गया।एक माह बाद आज मनोज का कॉल आया बहुत खुश था और जीवन मे हुए बदलाव को हर्षोल्लास से मना रहा था।उसको गलतियां न दोहराने की मैने सलाह दी और शुभकामनाएं दी।
Shri Kaal Bhairav Ashram
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अपने सम्पूर्ण जीवन जब 8वीं कक्षा की अनजानी सी अल्प बुद्धि लिए अनजाने ही ,इस रहस्यमय लोक में जुड़ जाने के पश्चात आज 30 वर्ष की अपनी पूरी साधनामय यात्रा को देखता हूँ तो पाता हूँ की अनगिनत आत्माओं अच्छी बुरी ,दृश्य अदृश्य ,देव राक्षस हर प्रकार की ऊर्जाओं का एक ठोस धरातल है जिसपे खड़े हो के कइयों की मुक्ति का कारण बनाया गया हूं अस्तित्व द्वारा।
अपने सम्पूर्ण जीवन जब 8वीं कक्षा की अनजानी सी अल्प बुद्धि लिए अनजाने ही ,इस रहस्यमय लोक में जुड़ जाने के पश्चात आज 30 वर्ष की अपनी पूरी साधनामय यात्रा को देखता हूँ तो पाता हूँ की अनगिनत आत्माओं अच्छी बुरी ,दृश्य अदृश्य ,देव राक्षस हर प्रकार की ऊर्जाओं का एक ठोस धरातल है जिसपे खड़े हो के कइयों की मुक्ति का कारण बनाया गया हूं अस्तित्व द्वारा।इसी 30 वर्षो की यात्रा में #श्री_काल_भैरव कृपा से कल एक शुभ दिन उस पारलौकिक रहस्यमय लड़की की मुक्ति हुई जो कई वर्षों पूर्व आई थी मदद मांगने।
घटना कुछ ऐसी है कि कुछ वर्षों पूर्व ग्रीष्म काल में एक दिवस एक लड़की का आयु करीब 25 -28, दूसरे आयाम,परलोक,रहस्य लोक,सूक्ष्म जगत से मेरे समक्ष प्राकट्य हुआ।क्योंकि बाल्यकाल से ही ध्यान के गहरे प्रयोगों ,दादा एवं परदादाओं के तंत्र व ध्यान जगत की शक्तियों का मूल DNA में उपलब्ध होने व गायत्री मंत्रो के लगातार गहरे प्रयोगों से मेरा संपर्क पूर्व जन्मों एवं अदृश्य जगत के लोगों से अनायास होता रहता था और स्वाभाविक रूप से अनजान था ,ज्ञात न हो पाता था कौन आ रहा ,क्यों आ रहा,कहा से आया ,क्या करना चाहिए।ईष्ट कृपा से एक दिन सभी रहस्यों से पर्दा हट ही गया तभी से ये आना जाना सहायता कैसे करना सबका सिलसिला चालू है।
उस लड़की को सामने देखते ही समझ गया कि उसकी कुछ समस्या है ,अब क्योंकि ये प्रतिदिन का खेल हो चुका था तो ज्यादा मैने ध्यान नही दिया ,की ऐसे तो बहुत आते जाते हैं उसने अपने को ध्यान आकृष्ट न होता देख ,खूब तेज रुदन प्रारम्भ कर दिया और मैने इस दशा को देखते हुए उससे पूछा क्या हुआ क्यों रो रही हो ,क्या काम ,यहां क्यों आना हुआ तो रोते हुए बदहवास सी भागती हुई आई बोली वो मुझे मार देगा, वो खराब है मुझे बचा लो कृपया मुझे बचा लो।वो ऐसे गिड़गिड़ाती गई और मेरा क्रोध बाध्य हुआ फटने को और गुस्से में कहा जाओ भागो ऊपर छत पर मेरे घर मे पेड़ पौधे पुष्प इत्यादि सबकी सेवा रक्षा करो किसी का भी अहित हुआ तो क्रोध का ताप झेलना होगा वो धन्यवाद के भाव को प्रकट करती लुप्त हुई वहां से।उसी क्षण एक बाबा प्रकट हुआ भेष से साधू प्रतीत होता था किसी को भी अच्छा साधु लग सकता था किंतु अक्सर क्षणिक सुखद भ्रम होता है और इस परिस्थिति को भांप गया मैं और गरजते हुए अपने सामान्य क्रोधी व्यवहार से उस पर शाब्दिक बाण चलाये और कहा क्या है क्यों आये भागो यहां से,उत्तर में उसने बड़े नम्र भाव से कहा अरे बाबा आप जानते नही वो लड़की धूर्त है ,धोखेबाज है सब गलत कर्म में लिप्त है वो नुकसान पहुचायेगी आपको,उसे जाने दो मेरे साथ,उसे छोड़ दो बाबा।
अब क्योंकि भैरव बाबा अपना परिणाम की चिंता किये बिना चलता है तो मेरा भी वही व्यवहार है सांसारिक जीवन मे भी कि जो उखाड़ना हो उखाड़ ,तो उसी बिंदास अंदाज़ में उस पे दहाड़ा मैं की अब तो उसे मैने शरण दे दी अब वो कही नही जाएगी।इतना सुनते ही वो सद्व्यवहारी साधु भेष अचानक से अपना दैत्य समान वीभत्स कुरूप सा रूप लिए मुझ पर प्रहार की मंशा से छलांग लगाता है और अचानक मेरे हाथ से एक पाश उसकी ओर जाता है और वो बंधा हुआ गिरने लगता है और एक तेज पैर की ठोकर से वहीं लुप्त होता है जहाँ से पधारा होता है।मुझे प्रकृति से बहुत गहरे से लगाव है पेड़ पौधे पुष्प सब की खूब सेवा में रहता हूँ पर यहां वानर महाराज लोगों को मेरे गमलों, पुष्पों, फलों से अत्यंत प्रेम था वो सब उत्पात मचा के सब खराब कर देते थे फिर मैं सब संभालता था ।क्योंकि मैं विज्ञान,पराविज्ञान, ज्योतिष,मनोविज्ञान व प्रबंधन का विद्यार्थी रहा हूं तो हर पहलू से जांच करके ही मानता हूँ।जिस दिन से उस लड़की को अपने पेड़ पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी यह पाया कि अब वानर महाराज आते पर उस हिस्से में कभी न जा पाते और आज लगभग 10 वर्षों से एक बार भी उस तरफ उन वानरों का जाना न हुआ।यह मेरे लिए संतुष्टि पूर्ण था कि ये कोई भ्रम या मनगढंत नही साक्ष्य है।उस लड़की ने न ही इन वर्षों में किसी को कुछ नुकसान पहुचाया।कुछ संकेत थे कि कल ग्रहण काल मे उसको यहां से मुक्त करने का समय आ गया है और कल कुछ विशेष भैरव छींटों के प्रयोग से उस हस्त बद्ध लड़की को जो अत्यंत आनंद व धन्यवाद के भाव को अश्रुभाव लिए #श्री_काल_भैरव की अनंत करुणापात्र बन खड़ी थी को बाबा काल भैरव नाथ ने मुक्त करा।
Shri Kaal Bhairav Ashram 9919935555
जय श्री काल भैरव,
आपके समक्ष कुछ कुछ अनुभव साझा करने का एक मात्र उद्देश्य आपको जागृत करना है,समझाना है ,सुझाना है कि जैसा दिखता ,हमेशा वैसा नही होता।
एक कल की घटना साझा करने का हुआ है तो लिखा जा रहा है।
एक व्यक्ति ने कल मुझे अपने घर ,खेत,मकान,दुकान एवं स्वयं के जांच के लिए निमंत्रण दिया उनके घर के बाहर से ही मृत्यु नाचती दिखी ,रुक के देखा
जय श्री काल भैरव,
आपके समक्ष कुछ कुछ अनुभव साझा करने का एक मात्र उद्देश्य आपको जागृत करना है,समझाना है ,सुझाना है कि जैसा दिखता ,हमेशा वैसा नही होता।
एक कल की घटना साझा करने का हुआ है तो लिखा जा रहा है।
एक व्यक्ति ने कल मुझे अपने घर ,खेत,मकान,दुकान एवं स्वयं के जांच के लिए निमंत्रण दिया उनके घर के बाहर से ही मृत्यु नाचती दिखी ,रुक के देखा तो उनके परिवार की न हो के उनके मित्र की मृत्यु दिखी और मै अंदर आ के उनको सचेत कर अपने आगे के अनुष्ठान के परिणाम की ओर अग्रसर हुआ ।इसमे अभी मैने इस व्यक्ति को #tantra_scan करना शुरू करा और पूर्ण रूप से अपने स्वावतार मेरे ईष्ट, मेरे प्राण,मेरे सर्वस्व #श्री_काल_भैरव के पूर्णावतरणोपरांत जैसे ही उस व्यक्ति के भूत, वर्तमान, भविष्य काल की घटित होने वाली घटनाओं का खाका सामने आने लगा और उनके उनकी परेशानियों के मध्य सम्बन्ध समझे और गहराइयों में जब उन पारलौकिक शक्तियों को चीर के ठीक उसी समय जब विघ्नों की समाप्ति की ओर अग्रसर था,अचानक इन व्यक्ति के मित्र ने जोर के धक्के से आगे जाते हुए आहत किया और वो अग्नि जो वहां आंधी बन के समाप्ति, मुक्ति को अग्रसर थी इस मूर्ख पे गिर पड़ी और उस महाक्रोधी कि अत्यंत भयानक ज्वाला ,नेत्र केंद्र को चीरती फाड़ती हुई उस व्यक्ति के मित्र पर गिर पड़ी और वो घबराहट के कारण चीख मारता हुआ गिरते हुए पैरो को संभालता हुआ भाग गया ।इन व्यक्ति ने जिन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि क्षमा करिये ये मित्र मेरे ऐसे ही हैं ज्यादा परवाह नही करते कौन बैठा देख के चलूँ न चलूँ ,ज़्यादातर जब आध्यात्मिक कोई हो।
इधर मैं दोबारा वहां एक क्षण भी न रुक पाया और अज्ञात से आयाम में होता हुआ अपने स्थान आके अपने कर्म में लग गया ।आज उन का कॉल आया और घबराते हुए कहने लगे कि जिस मित्र ने कल अवरोध उत्पन्न किया उनकी कल रात्रि हृदय घात से मृत्यु हो गई और आश्चर्य है कि न कुछ खाना न पीना सादा खान पान फिर भी?मुझे ज्ञात था उस घर मे प्रवेश से पहले ही कि एक मृत्यु थी,एक मुक्ति थी।मैने उनको याद दिलाया कि मैंने सचेत किया था आपको ,वो दुखी हुए काफी।
लेकिन मेरे स्वयं के के वर्षों के अनुभव से यह सीख देता चलता हूँ कि कोई भी हो तुम्हारा कितना बड़ा दुश्मन हो ,यहां तक कि कोई आपका आपकी पीठ पीछे उपहास भी उड़ा रहा हो उसका दंड उसे स्वयं मिलता है और घातक अत्यंत क्रूर बाबा का तो दंड ऐसा है कल्पना से परे इतना वीभत्स।पर शर्त एक है " सत्यता " ।पूर्ण ईमानदारी व सत्यता से आप साधक हैं तो आप स्वयं देखेंगे। ऐसे बहुत सारे पाखण्डी लोगो को जानता हूँ जिनके कर्म का फल स्वतः मिला व अत्यंत क्रूर रूप से मिला और कुछ को मिलना बाकी है।उसकी निगाह सबपे रहती बस समय की प्रतीक्षा होती ।इस लिए सभी साधक मित्रों से अनुरोध है कुछ भी आपके विरोध में हो बस सत्यता से अपना कर्म अपनी साधना करते चलें ,दुखी न हों जितना विरोध व उपहास हो उतना और तीव्रता से लग जाएं।जितना आपका उपहास और विरोध हो उतना आप आगे बढ़ें।कई फालतू रुगु अपने नाम के आगे गुरु लगा के ,अघोरी ,बाबा लगाके खूब पाखंड करते चलते हैं पर सचेत रहना अक्सर भोले साधक इस पहनावे व नाम में फस जाते हैं।सत्यता से चलना फिर कोई भी रुगु आये कुछ नही उखाड़ सकता उल्टा और दे के चला जायेगा ।
ऐसे बहुत उदाहरण मेरे स्वयं के साधना जीवन के हैं जिसमे आये वो बड़का गुरु टाइप बन के पर थे घंटाल पाखण्डी उनका हश्र दयनीय है।जो बाबा के सच्चे उपासक को छेड़ेगा स्वतः ही छोड़ दिया जाएगा ।
जय श्री काल भैरव
एक व्यक्ति कुछ समय से संतान सुख प्राप्ति की आस लिए हजारों रुपये डॉक्टर्स के पास व दवाइयों में फूंक के
एक शुभ दिवस मुझसे, इस परेशानी के बारे में ,बहुत दुःख भरे मन से जब मुझको बताते हैं ,तो उनसे प्रथम तो कुंडली विश्लेषण की सलाह दी ही थी कि उसने स्वतः कहा कि नही आपकी वेबसाइट में बताये #tantra_scanning सेवा के माध्यम से मुझे जानना है।इसमे ज्य
एक व्यक्ति कुछ समय से संतान सुख प्राप्ति की आस लिए हजारों रुपये डॉक्टर्स के पास व दवाइयों में फूंक के
एक शुभ दिवस मुझसे, इस परेशानी के बारे में ,बहुत दुःख भरे मन से जब मुझको बताते हैं ,तो उनसे प्रथम तो कुंडली विश्लेषण की सलाह दी ही थी कि उसने स्वतः कहा कि नही आपकी वेबसाइट में बताये #tantra_scanning सेवा के माध्यम से मुझे जानना है।इसमे ज्योतिष ज्ञान,तंत्र शक्तियों व मेरे गुप्त ध्यान विधियों के सामागम से मैं परेशानी का मूल कारण और उसका सटीक निवारण निकालता हूँ ,तो 3 दिन का समय लगता है।अतः उनको 4 दिन के पश्चात का समय दिया गया ।इस समय तक वो उनकी धर्मपत्नी के भीतरी जांच को कराने का मन नही बना पाए थे।कुंडली मे पुरुष के और स्त्री के पंचम स्थान,ग्रह, राशि, दृष्टि, युति,दशा,योग,गोचर,प्रश्न कुंडली ,नाड़ी ज्योतिष, इत्यादि से जांच में साफ परेशानी दिखी उसके पश्चात जब अपने पुश्तैनी तांत्रिक विधि से जब जाना और अपने गुप्त ध्यान सूत्र को जब साथ लिया तब देखा गया कि शादी के बाद जब स्त्री घूमने पहाड़ों की यात्रा में रास्ते मे किसी वृक्ष के पास मूत्र विसर्जन हेतु रुकी थी (इस व्यक्ति ने हामी भरी) और वहीं पीछे एक बच्चो का शमशान था और एक बालक इस स्त्री को अपनी माँ समझ के इनके साथ चिपक लिया और कुछ समय बीतने के बाद इनके मन में ये भावना बलवती होती गई कि इन्हें संतान की आवश्यकता नही है ।मैंने जब यह दृश्य देखा पूर्व का और अब वर्तमान स्थिति जाननी चाही तो देखा वो बालक इन स्त्री के भीतर कोई नस दबा के बैठा है और इस दबने से वहाँ कुछ ज़ंग(जैसे लोहे में rust लगी होती) लगी हुई है और वो बालक नही चाहता कोई दूसरा इस स्त्री पर माँ के अधिकार से आये।जैसे ही यह चर्चा मैं उन व्यक्ति से कर रहा था उस बालक की उपस्थिति वहां दिखी मुझे और कुछ अपने तरीके से मैने उस बालक को समझाया ।पर बालक तो बालक जिद्दी, तो उसका बाद में देखने के बहाने, उसको विदा किया।खैर मैने उनको उनकी धर्मपत्नी के यूट्रस व भीतरी जांच की सलाह दी ।क्योंकि मैं विज्ञान व मनोविज्ञान दोनो का विद्यार्थी रहा हूँ तो #आध्यात्मिक, #तांत्रिक #पारलौकिक,#ज्योतिषीय, #वैज्ञानिक व #मनोवैज्ञानिक तरीके से ठोक बजा के ही किसी निर्णय पे जाता हूँ।जब स्त्री की जांच कराई गई तो पाया गया यूट्रस में जिन दो नलियों की जिम्मेदारी संतानोत्पत्ति के लिए महत्वपूर्ण है एक नली पूरी तरह से बंद और एक नाम मात्र की खुली है। यही बात मैने बिना किसी मेडिकल जांच से जब पहले ही निकाल ली थी तो पति और धर्मपत्नी जी की ज्योतिष,तंत्र इत्यादि में विश्वास न करने वाली भी चरणों मे गिर रोने लगी।
उनको विश्वास दिलाया की सब सही होगा।
अब दो केंद्रों में काम होना था एक शारीरिक रूप से जो बिगड़ चुका था उसको डॉक्टरी तरीके से ठीक करना और साथ ही उस बालक को उधर से मुक्त करना।
तो पति समझदार थे और अब पत्नी भी समझ चुकी थी हर कोण से इस समस्या को ,तो उनसे मेरे द्वारा आगे किये जाने वाले पूर्व में #श्री_काल_भैरव #हवन और एक इलाज के बाद #पित्र_शांति व उनके #इष्ट_पूजन के लिए हर प्रकार से हृदय से सहयोग के वचन ले के हम तीनो ने काम करना शुरू करा।डॉक्टर के इलाज से पहले और बाद की क्रियाओं और बीच-बीच में #tantra_scanning का जिम्मा मैने लिया।जब विश्वास हो और काम महत्वपूर्ण हो तो व्यक्ति धन पे पकड नही करता,उन्होंने जो भी धन लगना था मुझे सुपुर्द किया और मैं भी निश्चिन्त भाव से अपने कर्म में लगा रहा।
अब वो महिला #डॉक्टरी_इलाज ,दवाइयां और #श्री_काल_भैरव कृपा से #गर्भवती हैं और जब भी सामने आती हैं उनके होंठ नही ,उनकी नयनों से बहती अविरल अश्रु धार उनके हृदय में बहती तरंग को अभिव्यक्त कर देती है और मेरे भीतर व्याप्त अनन्त शांति को और गहराई में ले जाती है ।
समय लगा पर हमने मिलके इसका उपाय निकाला।प्रार्थना है सभी का खूब मंगल हो।
इन्ही के अनुभवों के आधार पे बहुत और दंपतियों को परामर्श देने में कई विभिन्न प्रकार के कारण भी निकल के आये।
आपने समय दिया इस मार्मिक हृदय द्रवित अनुभवजन्य लेख को पढ़ने में आपका धन्यवाद।
एक सुबह दिल्ली के जिज्ञासुओ की मिलने की व्यस्तता में किसी मित्र के बहुत जोर देने में कारण एक व्यक्ति से बस 2 मिनट का मिलने का समय दिया वो भी बस सड़क पर कार का वेट करते हुये।उन महाशय ने मिलते ही शाब्दिक बमवर्षा शुरू कर दी कि ये आप सब ढोंग ढकोसला करते हैं मेरी बीबी 4 साल से बिस्तर पर कोमा की स्थिति में है सब बाबा सन्यासी ज्योतिषि अघोरी से मि
एक सुबह दिल्ली के जिज्ञासुओ की मिलने की व्यस्तता में किसी मित्र के बहुत जोर देने में कारण एक व्यक्ति से बस 2 मिनट का मिलने का समय दिया वो भी बस सड़क पर कार का वेट करते हुये।उन महाशय ने मिलते ही शाब्दिक बमवर्षा शुरू कर दी कि ये आप सब ढोंग ढकोसला करते हैं मेरी बीबी 4 साल से बिस्तर पर कोमा की स्थिति में है सब बाबा सन्यासी ज्योतिषि अघोरी से मिल लिया खुद शमशान भी जा के सब कर लिया पर आजतक कुछ नही दिखा मेरी बीवी पर ये सब बोलते हैं कुछ है उस पे किंतु आज तक मुझे कुछ नही लगा न ही दिखा।
जिस गति से उसने मेरे सामने ये शब्द फेंके तो अमर्यादित वाणी के कारण अपने स्वभावगत उग्रावेश में कई गुना तीव्र गति से मेरे मुख से कुछ ऐसे शब्द निकले जिसको मैं खुद नही समझ पाया और उसने मेरा मुह देखते हुए कहा कि क्या कहा आपने मैं समझ नही पाया ।मैं इस व्यवहार से उखड चुका था इस वजह से आगे जाने लगा तभी ही साथ खड़े दूसरे साधक ने भाव समझते हुए स्पष्ट करने का प्रयास करा की श्री तारामणि भाई जी के कहने का अर्थ यह है कि "जब आपमें क्षमता नही तो कैसे कुछ दिखेगा अब आये हो तो ये चुनौती का उत्तर आज मिल जाएगा" ऐसा सुन मैं प्रणाम कर अपनी गाड़ी में बैठ नियोजित कार्यक्रम को चल दिया।
रात्रि 1 बजे उस व्यक्ति ने कई बार कॉल करा क्योंकि रात्रि मैं कॉल नही उठाता तो उस का msg आया कि आपने क्या कर दिया मुझे मेरी बीवी के चेहरे पर कभी कोई भूत का चेहरा ,कभी बीवी की आंख बाहर,कभी जीभ बाहर आती देख रहा हूँ और अपने को जांचते हुए आंख मसलते हुए जब दोबारा उसे देखता हूं तो वो सामान्य भावहीन चेहरा दिखता है फिर थोड़ी देर में कभी उसकी बीवी के मुह से कीड़े निकल रहे कृपया मदद करें मैं आज के बाद कभी नही कहूंगा कि कुछ नही होता।जो सभी साधु बाबा ज्योतिषी जानकार कहते रहे वह आज आपने दिखवा दिया।
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कहना सिर्फ इतना है कि संत साधक के समक्ष कुछ भी कहें तो संयम धैर्य मर्यादा को ध्यान में रखते हुए कहें।
प्रश्न:गुरु जी मैं अगर आपको अपना
गुरु बनाना चाहूं तो क्या करना होगा मुझे?क्योंकि मुझे साधना करने की बहुत इच्छा है और मुझे कुछ भी नही पता है,कृपया मार्गदर्शन करें | उत्तर: प्रिय जितेंद्र, गुरु शिष्य का सम्बंध जन्मों की #आध्यात्मिक यात्राओं के फलस्वरूप घटित होता है गुरु का मिलना जीवन में साधारण घटना नही अपितु जैसे जन्मों गहरी #पाताल में दबी
प्रश्न:गुरु जी मैं अगर आपको अपना
गुरु बनाना चाहूं तो क्या करना होगा मुझे?क्योंकि मुझे साधना करने की बहुत इच्छा है और मुझे कुछ भी नही पता है,कृपया मार्गदर्शन करें | उत्तर: प्रिय जितेंद्र, गुरु शिष्य का सम्बंध जन्मों की #आध्यात्मिक यात्राओं के फलस्वरूप घटित होता है गुरु का मिलना जीवन में साधारण घटना नही अपितु जैसे जन्मों गहरी #पाताल में दबी सोई अज्ञात मृत शरीर में जैसे स्वर्ग से किसी ने #अमृत के छींटे मार दिए हो ,साधक जन्मों की यात्रा करता है कभी उठता है कभी गिरता है कभी गुरु से #प्रेम कभी गुरु द्रोह पा गुरु दोष ग्रहण कर पाप कमा के नीचे की गति करता है जिसे उचित समय पे फिर किसी जन्म गुरु अपनी करुणामयी दृष्टिपात कर उसे जगाता है क्षणिक बदलाव के आकर्षण को लालायित मन कुछ समय के लिए तो उसके बताए मार्ग का अनुसरण करता है किन्तु बीच में पुनः अपने पाप संस्कारों के कारण अपनी #कुबुद्धि व अविवेक जिसे वो अपनी बिद्धिमत्ता और विवेक समझता है के पायदान पे खड़े हो गुरु वाणी को भी कुबुद्धि से तौल के चलने पर मजबूर हो जाता है ।मार्ग इसका ठीक विपरीत है प्रिय शिष्य को अपनी बुद्धि,विवेक,पूर्व निर्धारित मान्यता,जानकारी,किताबी व इंटरनेट तथाकथित ज्ञान के आधार पे गुरु को नापने की आदत का त्याग करना पड़ता है तभी वो गुरु को अंतसचेतना से स्वीकार कर पाता है।गुरु तो उसे पूर्व जन्मों से खींचता हुआ ला रहा है जिस कारण उसे अनंत प्रेम करता है चाहता है कि इस बार तो वो जागे समझे देखे । जो साधक गुरु चरणों में सम्पूर्ण समर्पित हो #भीख मांगता हुआ आता है और उसकी आत्मा से एक विलाप होता हुआ आत्मा के दर्पण आंखों से बाहर बह के मौन में गुरु चरणों को स्पर्श करता है ,उस स्पर्श को गुरु अपने शिष्य के वापसी पर दीक्षा दे के पुनः उसी यात्रा पर अग्रसर करता है ,यदि कोई साधक इस भाव से अपने मैं को भूल गुरु समक्ष प्रार्थना करे तो गुरु अवश्य उसे #मुक्ति मार्ग पर अग्रसर करता है । आपको #दीक्षा दी जाएगी प्रिय क्योंकि जिसे ज्ञात ही नही है उसे अवश्य ज्ञात है और जो जानता है वो बहुत आखिरी पंक्ति में खड़ा पाया जाता है उस लोक के प्रवेश द्वार पे। आप मुझे 9919935555 पर whatsapp कर call का समय लेके वार्ता कर सकते हैं। आपका अपनी क्षमतानुसार मार्गनिर्देशन करना एक गुरु होने के नाते, मेरा प्रथम कर्तव्य है ।
जय श्री काल भैरव
आज आपको एक गुप्त साधना जो करने में सामान्य है किंतु उसके प्रभाव बहुत तीव्र हैं भगवान भैरव के एक उग्रतम स्वान की साधना का अपने शिष्य को कराने का अनुभव साझा करने जा रहा हूँ जिसको प्रारम्भिक काल में हिमालय के एक तंत्र मार्गी गुरूपदासीन से प्राप्त किया था।
एक प्रातः मेरे गद्दी के स्थान पर एक माँ अपनी बेटी के साथ आई और विलाप कर निवेदन कर के कहन
आज आपको एक गुप्त साधना जो करने में सामान्य है किंतु उसके प्रभाव बहुत तीव्र हैं भगवान भैरव के एक उग्रतम स्वान की साधना का अपने शिष्य को कराने का अनुभव साझा करने जा रहा हूँ जिसको प्रारम्भिक काल में हिमालय के एक तंत्र मार्गी गुरूपदासीन से प्राप्त किया था।
एक प्रातः मेरे गद्दी के स्थान पर एक माँ अपनी बेटी के साथ आई और विलाप कर निवेदन कर के कहने लगी कि मेरी बच्ची को बचाइए #गुरुदेव मैं एक पल में बात समझ गया और कहा, क्या कन्या कुछ दुष्ट दरिंदों के बीच फंसी है ,जहां से तुम्हे लगता है निकलने का कोई रास्ता नही? साथ ही उसे उसके साथ होने वाले घटनाक्रम के पूर्व #संस्कार के द्वारा इस काल में माध्यम बनने का भी उसे बताया। घटना ये थी कि कन्या एक दुष्ट प्रव्रत्ति के लड़के द्वारा रचे मायाजाल में फंस कुछ ऐसे प्रपंच का हिस्सा बन गई जहां उसके साथ उसके पूरे परिवार की इज्जत दांव पर लगी थी।उस काल की सामाजिक तंत्र व्यवस्था पर वो भरोसा नही कर पा रही थी उनसे किसी भी मदद के लिए।
ये सारी जानकारी होने के बाद मैंने उसे #भगवान #भैरव के एक विशिष्ट श्वान जिसका नाम " मर्कटा श्वान " है । ये श्वान आकार में छोटा किन्तु अत्यंत क्रूर है ,ये अपने आकार को किसी भी शक्ति के अनुसार बदलने में सक्षम है,इसे सामान्य भोग दुग्ध,दही,मिष्ठान भाता है किंतु साधक को सिद्ध होने पे ये साधक के शत्रुओं की आंत का भोग करता है । यदि ये साधक को सिद्ध हो जाए तो जीवन भर उसके साथ उसके रक्षक के स्वरूप रहता है।
" मर्कटा श्वान " की गुप्त विधि जैसे मुझे #हिमालय के तंत्र गुरूपदासीन ने बताई थी ठीक उसी प्रकार उस कन्या को मैंने विधि समझाई और उसे यह साधना करने को प्रेरित किया । उन गुरुदेव ने मुझे ये विधि कराने के उपरांत इसका एक अंतिम सूत्र बताया था वो उस कन्या को मुझे यह साधना पूर्ण होने के उपरांत बताना था।
कन्या ने घर से ही यह साधना करना शुरू करा,प्रथम दिवस ही उसके पूजा कक्ष पर रात भर पंजे मारने की आवाज आती रही और ये पंजे के निशान उसे सुबह उसके दरवाजे पर दिखाई दिए । साधना का फल उस साधक की भावना के अनुरूप और गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण पर निर्भर करता है। उस #कन्या का भाव व संस्कार शुद्ध थे ही तथा मेरे प्रति भी उसके सम्पूर्ण समर्पण के कारण उसे प्रथम दिवस से ही अनुभव होने प्रारंभ हुए और 6 दिन के भीतर जिन दुष्ट लड़कों से वो भयभीत थी उनके बीच से "मर्कटा श्वान" ने ऐसे उस कन्या को निकाल लिया जैसे तूफानी नदी में किसी पत्ते पर टिके चींटे को किसी हवा के झोंके ने उठा के किनारे कर दिया हो। उसके जीवन की सबसे सरल और सबसे प्रभावी साधनाओं में से एक ये साधना थी जिसमे उसके सारे जीवन की उसकी और उसके पूरे परिवार की इज्जत दांव पर लगी थी उस कठिनाइयों से पल में उसे निकाल दिया साथ ही कुछ विशिष्ट घटित हुआ। उसके चेहरे पे एक भिनन्ता लिए तेज आ गया जहां भी वो जाती उसके कार्य निर्विघ्न होने लगे । यहां तक कि अब उसके कई मित्र बनते चले गए जो उसे सहायता करते प्रत्येक क्षेत्र में और शत्रु का दुर्भाग्य उनके इस कन्या के शत्रु बनने से ही प्रारम्भ हो जाता। उसको अक्सर स्वप्न में छोटा श्वान शत्रुओं का भोग लेता दिखता सदैव उसके पास बैठा दिखता।जब भी वो जाप पर बैठती उसके घुटने के पास एक गर्म नरम सा आभास उसको रोमांचित कर देता।
इसी प्रकार कई तंत्र साधनाओं को उसने मुझसे सीखने के साथ ये पाया कि किसी भी साधना को सफल करने में मर्कटा श्वान का बहुत बड़ा योगदान रहता था।
सभी स्त्रियाँ , नवीन साधक या कोई भी समर्पित साधक इस साधना को अवश्य जीवन में एक बार करने का इछुक होता ही है ।
मर्कटा श्वान की सहज सामान्य साधना सभी सच्चे साधकों के लिए वरदान स्वरूप है । आप यदि इस साधना की गूढ़ता को जानने के इछुक है तो आपको ये साधना स्वयं करके देखनी चाहिए।
इसके लिए आप श्री काल भैरव आश्रम के whatsapp 9919935555 पर msg करके पूछ सकते हैं ।
*"सदगुरूदेव डॉ. श्री तारामणि जी"*
{The Enlightened Master}
'श्री काल भैरव आश्रम-लखनऊ'
Whatsapp:- 9919935555
Current account
Shri Kaal Bhairav Ashram
Hdfc bank account
50200057328472
IFSC Hdfc0004431
*आज्ञा_चक्र जागरण प्रयोग:*
https://youtu.be/3HEGCbXbmlg
माँ बंगलामुखी शिविर 3 दिन में सवा लाख मंत्र जाप नलखेड़ा *गुप्त दस महाविद्या दीक्षा शिविर*:
https://youtu.be/iE4f4CpBfmk
धनदा यक्षिणी गुप्त सानिध्य साधना शिविर:
https://youtu.be/Guu1XIzAW1U
के वार्ता कर सकते हैं। आपका अपनी क्षमतानुसार मार्गनिर्देशन करना एक गुरु होने के नाते, मेरा प्रथम कर्तव्य है ।
जय श्री काल भैरव
झुकने के लिए अदम्य #साहस चाहिए होता है ,इस जगत में जीव अहम रूपी लाचारी की धरा पे विवशतापूर्ण खड़ा है क्योंकि इस जगत के नियम में जीवित रहने का #युद्ध ही दूसरे के मर्दन पे और मेरे मैं के लौह स्तम्भ पर टिका है ।
एक मात्र उस परम प्रेमपूर्ण दृष्टि का उस चेतना को छूना ही उसको बदहवास भगाता सांसारिक चकाचौंध से भीतर की ओर कि ये क्या छुआ मुझे तभी उ
झुकने के लिए अदम्य #साहस चाहिए होता है ,इस जगत में जीव अहम रूपी लाचारी की धरा पे विवशतापूर्ण खड़ा है क्योंकि इस जगत के नियम में जीवित रहने का #युद्ध ही दूसरे के मर्दन पे और मेरे मैं के लौह स्तम्भ पर टिका है ।
एक मात्र उस परम प्रेमपूर्ण दृष्टि का उस चेतना को छूना ही उसको बदहवास भगाता सांसारिक चकाचौंध से भीतर की ओर कि ये क्या छुआ मुझे तभी उस की #सुगंध में महकता कोई #पुष्प उसे अपनी ओर खींच के लाता है और ला पटकता उसके दम्भी शीश को उसके ऊर्जा क्षेत्र में जहां वो न् जाने क्यों झुक जाता ,न् जाने क्यों सिर्फ #अश्रुधार से उस मूर्ख के पैरों को स्नान कराया करता उसे ज्ञात ही न् हो पाता क्यों झुक रहा ,क्यों बह रहा ,क्यों एक अलग #मस्ती में खिलखिला रहा, सहसा ये क्या पागलपन हो गया ,अब #नींद नही है और है भी,भूख है भी नही भी।अब सिर्फ झुक ही नही रहा मर रहा धीमे धीमे उस परम के द्वार जहां सर उठा के झुकना असंभव ,उस द्वार ही नही उस सूक्ष्म #छिद्र से तो बस तरल जल की एक इकाई हो ही रिस रिस के उस द्वार खिसकना होता है।
जय श्री काल भैरव
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