Apsara
Apsara Sadhana
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Apsara Sadhana

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Have you ever heard of the Apsaras or अप्सरा साधना  ? These celestial beauties, known for their grace and otherworldly charm, weren’t just eye candy in ancient myths. In the world of spiritual practices, there’s a whole path dedicated to connecting with their energy – Apsara Sadhana.

benefits of diksha

Blissful Marriage (सुखमय विवाह)

अप्सरा दीक्षा के लाभ

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Attraction & Charm (आकर्षण और मोहकता )

अप्सरा दीक्षा के लाभ

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Youthful & Jovial (युवा एवं प्रसन्नचित्त)

अप्सरा दीक्षा के लाभ

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Job Possibilities (नौकरी की संभावनाएं)

अप्सरा दीक्षा के लाभ

Apsara Sadhana

Apsaras are celestial nymphs or divine dancers in Hindu and Buddhist mythology, known for their beauty, grace, and ability to enchant gods and mortals alike. In Vedic texts, they are associated with water, clouds, and celestial realms, serving the gods in Indra’s court. Apsaras are believed to have enchanting abilities, especially through dance and music, and they play a significant role in inspiring creativity, love, and passion in human beings. Their essence is tied to both ethereal beauty and spiritual significance, often embodying the ideal of feminine energy in various forms.

Apsara Sadhana is a spiritual practice aimed at invoking the blessings of apsaras. By performing this sadhana, a practitioner seeks to awaken divine beauty, charm, and attraction within themselves, as well as enhancing their own creative and artistic talents. This practice is believed to provide inner peace, joy, and fulfillment in relationships while helping to unlock hidden potential in various aspects of life. Through devotion and focus, one can experience personal transformation and alignment with higher cosmic energies.

अप्सरा से शादी

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अप्सरा की गंद कैसी थी?

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अप्सरा ने मुझे जब सिद्ध सिक्का दिया

अप्सरा ने मुझे जब सिद्ध सिक्का दिया(एक गुप्त अनुभव)आपके जीवन में अनेकोनेक घटनाएं पल प्रति पल घटित होती हैं उनमें अनेकों भुला दी जाती है किंतु कुछ बहुत गहरे उतर जाती है जिसका प्रभाव आपके जीवन पर्यंत ही नही कई कई जन्मों तक खिंचा चला जाता है । ऐसे अनेक अत्यंत उपयोगी व महत्वपूर्ण अनुभवों की श्रंखला से आपके समक्ष सभी साधकों के प्रेरणा हेतु ईश्वरीय आज्ञा से आपके साथ साझा करने का भाव प्रस्तुत कर रहा हूँ।  एक समय जिन दिनों मेरा संसारिकों संग मेल मिलाप असंभव था और मैं बालकपन में अपनी साधना की गहराइयों को एकत्रित कर रहा था ,मैं मेरी विभिन्न तपस्यास्थलियों में से  एक अत्यंत दिव्य गुप्त स्थल  भैरवगढ़ी ,जो मेरी अत्यंत गुप्त साधनाओं का साक्षी रहा है जहां साक्षात भगवान कालभैरव विराजमान हैं वहां पर गुप्तता व मौन धारण किये दिन रात से अनजान इष्ट भगवान भैरव नाथ के गणों मध्य अनेकोनेक लोकों में विचरण किया करता और अत्यंत गुप्त रहस्यों को विशालकाय नयनों से अवाक ग्रहण करता चलता था। इसी समय एक मुख्य गण जिनसे मेरी मित्रता अत्यंत भावुकतापूर्ण हो चुकी थी ,उनसे उत्सुकतावश अप्सराओं के रहस्य को जानने की अभिलाषा उनके सम्मुख प्रस्तुत करी ,उसी पल एक तीव्र अलौकिक सुगंध से अंतर्मन में एक भिन्न शांति प्रदान करने की तरंग तैर गई ,एक दिव्य गुलामी सी छटा बिखर गई आकाश में पृथ्वी अनेकोनेक अद्वितीय भिन्न कालिक बेल व वृक्षों से लद गई। उन बेलों से पल पल नवीन पुष्प खिल के सुगंध में परिवर्तित होते जा रहे थे और प्रत्येक परिवर्तन के तुरंत बाद एक नवीन भिन्न रंग रूप सुगंध का पुष्प खिल के जैसे दिव्य हँसी बिखेर रहे थे ।वो सुगन्ध उस गुलाबीपन को और मादक बना रही थी ।मेरे प्रत्येक तंतुओं में जैसे कोई नवीनता लेके संगीतकार कोई दिव्य राग छेड़ रहा हो । उस धीमी सुगन्ध से तंतुओं में होने वाली मद्धम बंसीधुन की सीढ़ियों पर अपने  कोमल सुरों से भी गुह्य  ध्वनियों से पदताल रखती हुई प्रकटीकरण की ध्वनियों से सातों छिद्रों से राग छेड़ कर प्रथम अपने दिव्य चरण कमलों का दर्शन दिया । मेरी दृष्टि उन पर पड़ने से ही फिसल रही थी,इतना दिव्यतम शुद्ध संगीतमयी चरण कमल अत्यंत पूजनीय था अतः मैंने प्रणाम अर्पित करा ।इतनी दिव्य अलौकिक प्रक्रियाओं से बाहर कभी कोई नही आना चाहता है किन्तु उसी पल मेरे मित्रवत गण के अट्ठहास नें पल में मधुर सौम्य दृश्य में जैसे मृदङ्ग की जोरदार चोट का सहयोग किया हो।किन्तु उस अट्टाहास से इस अप्सरा के ताल में राग में मादकता में बेहोशी की अपेक्षा सजगतापूर्वक द्रश्यमान दर्शनीय दिव्यतापूर्ण अनुभवों में आनंद अपने चरम पर जाने लगा। तभी  अप्सरा के सौम्य बंसी की कोमल सुरों संग अट्टहास के मृदङ्ग संग अप्सरा के घुंघुरुओं  के छम छम छम छम ,ने अपनी दस्तक दी कहती हुई कि अभी कुछ और सुदूरवर्ती कंदराओं से गंग धार फूटने को है और वो चढ़ती हुई अंतिम हस्त कमल मुद्राओं को माध्यम बना अंतिम नाड़ियां तोड़ बिखर गई गुप्त गुह्य कंदराओं से बाहर बिखेर सब शांत कर ,उसने नमन कर मेरे समक्ष गहरे नीले विशाल नेत्रों से मुझे भौतिक त्वचा पर दृष्टिपात कर भरपूर जोश का  आनंद  सजग मादकता से पिला दिया । उस पल होने वाले भीतरी बाहरी परिवर्तनों से सजगता से अनभिज्ञ हो सभी स्वीकार्य की स्थितियों में उसको उसके मेरे समीप बढ़ते हुए कोमल सुरों से भी अत्यंत कोमल हाथों को मेरे पास बहते हुए  जैसे योगी अपने ईश्वर से मिलने को प्रतीक्षा में निष्क्रियतापूर्ण  अनंत काल के पार चला जाये और सजगता होते हुए भी असजग होते हुए का द्रष्टा हो। कंधे पर से उस बहते हुए हाथों को सरकते हुए मेरी हथेलियों पर आना जैसे जल की बूंद का पृथ्वी छूने पर घुल के मिल जाना इतना आश्चर्यजनक रूप से अवाकमय कोमल हाथ में हाथों घुल के सब दृश्य जैसे अब अपनी नृत्यशाला अपने संगीतज्ञ के संग समेटने के इशारे दे रहा हो।सब घुलनशील हो रहा बस एक चमकती किसी गोलनुमा कड़क आभास के मेरे हथेलियों में।सब दृश्य घुलने के पूर्व ही उस गोल आकार के सुनहरे मुद्रा रूप एक सिक्के को हाथ में पाकर पुनः अट्टहास से सिक्के की खनखनाहट को हथेलियों ने आभास किया और अंतिम ध्वनि “यह आपका है देव” सुनते ही सब शांत हो गया । बहुत ही शांत दिव्य प्रकाश संश्लेषण मेरी ऊर्जाओं में होता दृश्य हुआ पुनः उस सिक्के पर दृष्टि पात करते ही उसमें साक्षात रुद्र अथवा भैरव अथवा शिव के दिव्य रूप उकेरे हुए  आकाशीय प्रकाश फेंक रहे थे ।मेरे गण मित्र ने सिक्के को प्रणाम करा और मुझसे प्रभावित हो मौन ही मेरे बेहोशी  भरे चित्त को सजग करने के प्रयास में आगे की ओर लेके चला।आज भी वर्षों पुराना दिव्य अप्सरा प्रदत्त भैरव सिक्का मेरे प्राणों के समीप है और उसको कभी किसी पल देखने से ही मात्र अप्सराओं के दिव्य नृत्य ध्वनियाँ सुगन्धों की मधुर बौछार प्रारम्भ हो जाती है और सभी ओर नवीनतम दिव्यता प्रसारित होने लगती है। हृदय उमंग प्रफुल्लता से अकारण ही भर जाता है।अनेक सांसारिक कर्मों की सिद्धि में सहायक यह सिक्का बालकपन में मेरे द्वारा प्रयोग किया गया जिसके फलस्वरूप त्वरित भान हुआ कि दिव्यताओं का प्रयोग दिव्यताओं हेतु ही सार्थक है न कि सांसारिक हेतु।यह वास्तविक अनुभव मात्र समाज में फैली हुई असत्य कहानियों को उखाड़ फेंकने के लिए अत्यंत आवश्यक होने के कारण भगवान  भैरव के आज्ञा से आपके समक्ष प्रस्तुत किया है ।  सम्भव हो उपरोक्त भाषा में कुछ न समझ पाए क्योंकि यह अनुभव बताते हुए मेरे समक्ष अप्सरा का दिया हुआ दिव्य भैरव सिक्का है और हाव भाव दशा छटा सब वैसा ही हो गया है । इन्ही सब अनुभवों के आधार पर समय समय पर साधकों के जीवन को प्रफुल्लता से भरने के लिए श्री काल भैरव आश्रम kaal bhairav mandir में जो कि लखनऊ में है में अप्सरा दीक्षा शिविर लगते रहते हैं । इसी उपलक्ष में सभी साधकों हेतु हम अप्सरा सिद्धि और उसके भिन्न अनुभवों को साझा करने हेतु एक अप्सरा शिविर का आयोजन गुरु पूर्णिमा के शुभ दिवस पर आयोजित कर रहे हैं जो कि 13 जुलाई को है Kaal Bhairava । अवश्य जीवन में प्रफुल्लता और शांति इत्यादि हेतु इस अवसर को न जाने दें whatsapp 9919935555 पर जानकारी प्राप्त करेंप्रेरित रहें ,सकारात्मक रहें अपने गुरु का ध्यान रखें ,कब वो चला जाये शरीर से तो पश्चाताप नही होगा,गुरु की आज्ञा व आदेश का सर्वोपरि पालन करना।गुरु मिलना जन्मों की सबसे बड़ी घटना है प्रिय,इस अवसर को जाने न देना कभी।सब छूट जाए चौपट हो जाये सब चला जाये गुरु न जाने देना भले ही तुम्हारा अहंकार न मान रहा हो फिर भी गिर पड़ना और लुटा देना मिटा देना उसके चरणों में जहां से तुम्हारा रास्ता खुल जाये